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अनाथ बच्चों की पहचान सार्वजनिक होने पर बाल संरक्षण आयोग गंभीर!

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न्यूज डेस्क शंखनाद उत्तर प्रदेश!

उत्तर प्रदेशकोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चों के नाम बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड होने के बाद सार्वजनिक होने पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन डॉ.विशेष गुप्ता ने समस्त जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर इस पर तत्काल रोक लगाने के साथ ही संबंधित परिवारों की काउंसलिंग व संबंधित रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर बाल आयोग को प्रेषित करने के लिए कहा है।
पत्र में डॉ विशेष गुप्ता ने कहा है कि आयोग के संज्ञान में आया है कि बाल स्वराज पोर्टल पर डाटा अपलोड होने के पश्चात मीडिया समूहों द्वारा कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चों की पहचान अपने-अपने पोर्टल पर अपलोड व व्हाट्सएप ग्रुप में सार्वजनिक किया जा रहा है।
इस प्रकार से पहचान सार्वजनिक होने से अनाथ बच्चों को उपेक्षित करने के साथ-साथ जेजे एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है। असामाजिक लोगों, बाल तस्करी करने वाले समूहों, भिक्षावृत्ति समूहों व अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा कभी भी ऐसे बच्चों का उपयोग समाज में गलत तरीके से किया जा सकता है। बाल आयोग इसे गंभीर मामला मानता है। जनपदों में गठित जिला टास्क फोर्स, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, एसजेपी बाल कल्याण समिति, ग्राम बाल संरक्षण समिति, निगरानी समिति द्वारा अनाथ व एकल बच्चों की सूचना जो इलेक्ट्रानिक मीडिया/प्रेस मीडिया व अन्य समूहों ने अपने तरीके से सार्वजनिक की है, उसको एकत्र करायें। तत्पश्चात ऐसे परिवारों की स्थलीय जांच कर उनकी काउंसलिंग व सामाजिक रिपोर्ट एकत्र कराते हुए आयोग को एक सप्ताह में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति को अपने स्तर से इलेक्ट्रानिक मीडिया /प्रिंट मीडिया के साथ एक उम्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु निर्देशित करें, जिससे अनाथ हुए बच्चों की पहचान को सार्वजनिक करने व जेजेएक्ट के उल्लंघन से रोका जा सके

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