कार्यकारी संपादक पंकज कुमार ठाकुर!

ये दर्द, ये गम, यह तड़प ये रूदन
ये कोरोना!
वह ऑक्सीजन ढूंढते रहे सांसे साथ छोड़ गई!
ये दर्द, ये गम, यह तड़प ये रूदन
ये कोरोना देश में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है लोग बाग सहमे हुए हैं। तो कोरोना कल के गिद्ध इस घड़ी में भी सक्रिय है ।वसूली के लिए चाहे वह ऑक्सीजन हो, बेड इंजेक्शन ,शमशान, और मरने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र। लंबी कतार लगी है। आखिर जिम्मेदार कौन है। और ऐसे नजारे को पूरा देश दुनिया ने देखा कहीं ऑक्सीजन लाने गए तो सांसे साथ छोड़ गई, तो कहीं वक्त पर इंजेक्शन नहीं मिल पाया, सरकार की तरफ से कोशिश तो की गई ।लेकिन अभी भी हर तरफ कोहराम मचा है मरीजों में संघर्ष चल रहा है ऑक्सीजन ले आओ भर्ती हो जाओ। आखिर त्रासदी के इस पैमाने के लिए हम किसे दोष दें किसको दोष दें इस टाइम आने के लिए हम तैयार नहीं थे। याद कीजिए कोरोना की जब पहली लहर आई थी तो देश में विकराल स्थिति थी। तबाही मचा हुआ था याद कीजिए अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश घुटने पर आकर टिक गया था। और उस वक्त हम मजबूती से खड़े रहे याद करना होगा, अपना हौसला, याद करना होगा अपना हिम्मत, याद करना होगा अपना जज्बा ,क्योंकि लड़ना तो होगा जीतने के लिए।




