रिपोर्ट:- पंकज कुमार ठाकुर !
मुख्यमंत्री के संबोधन के मुख्य बिन्दु-पूरे देश में जो बिजली की आपूर्ति केंद्र सरकार की तरफ से की जाती है, सभी जगह उसका एक रेट हो जाय तो यह बहुत अच्छा होगा, इसके लिये एक नीति बननी चाहिए यानि वन नेशन, वन रेट हो। बिहार जैसे राज्यों का जो पैसा बैंकों में जमा होता है वह विकसित राज्यों में चला जाता है। यहां का पैसा राज्य को ही देने का प्रावधान किया जाय। इसके लिये सी0डी0 रेशियो बढ़ाया जाय। हमलोग जल-जीवन-हरियाली, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, मौसम के अनुकूल कृषि के विकास, जैविक खेती और वृक्षारोपण के लिए काम कर रहे
हैं।
पटना 20 फरवरी 2021:- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी बैठक में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार शामिल हुये। बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री सहित केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल/प्रशासक भी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े रहे।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि नीति आयोग की छठी बैठक आयोजित करने के लिए मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं। इस बार नीति आयोग ने बैठक के पूर्व ही राज्यों के साथ पूरी चर्चा की है, जिसमें राज्यों ने भी अपनी बातें रखी हैं। नीति आयोग की पहले की बैठकों में भी हमने राज्य से संबंधित जरुरी बातें रखी है, चाहे वह विशेष राज्य के दर्जा से संबंधित हो या राज्य के हित से संबंधित अन्य मसले हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को बढावा देने का प्रयास बहुत ही जरुरी है। हमलोगों ने भी इसे लेकर अपनी पॉलिसी बनायी है ताकि राज्य में उद्योग को बढ़ावा मिले। उद्योगों को बढ़ावा देने को लेकर 15 सालों से हमलोग प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि बिहार एक लैंडलॉक्ड स्टेट है। इसके चलते कई प्रकार की दिक्कतें होती हैं। हमलोगों ने वर्ष 2011 से ही कहा है कि उड़ीसा में एक अलग बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो बिहार से किसी चीज को भेजने में सहूलियत होगी। इस प्रस्ताव को हमने पिछले 10 वर्षों में कई बार रखा है। इस पर ध्यान दिया जाए तो काफी अच्छा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का क्रेडिट डिपाॅजिट रेशियो बहुत ही कम 36.1 प्रतिशत है। यहां से डिपॉजिट 3.75 लाख करोड़ रुपये रहता है लेकिन बैंको से 1.35 लाख करोड़ रुपये का ही ऋण दिया जाता है। इसके बारे में हमलोग हमेशा कहते रहे हैं। देश भर में सीडी रेशियों का औसत 76.5 प्रतिशत है, कुछ राज्यों का तो 100 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह भी देख लिया जाए कि बिहार जैसे राज्यों का जो पैसा बैंकों में जमा होता है वह विकसित राज्यों में चला जाता है। यहां का पैसा राज्य को ही देने का प्रावधान किया जाय। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायत में बैंक की एक शाखा खोली जाय, इसके लिये हमलोग पंचायत सरकार भवन की बिल्डिंग देने को तैयार हैं। उन्हांेने कहा कि अगर आप पूरे देश में उद्योग को बढ़ावा देना चाहते हैं तो इन बुनियादी चीजों पर ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे बहुत ही अच्छा लगा है कि एथेनॉल के उत्पादन की बात हो गई है। हमलोगों ने वर्ष 2007 में ही एथेनॉल के उत्पादन के लिए ऐक्ट में अमेंडमेंट करके केंद्र सरकार को भेजा था। तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसको स्वीकार नहीं किया था लेकिन अब पूरी बात हो गई है। अब गन्ना के रस से भी एथेनॉल का उत्पादन होगा। एथेनॉल के उत्पादन से वैकल्पिक ईंधन मिलेगा। इससे पेट्रॉल और डीजल पर निर्भरता कम होगी और सहूलियत मिलेगी। ये काम शुरु करने का निर्णय ले लिया गया है, ये बहुत अच्छी बात है। हमें याद है कि एक बाहर के व्यक्ति ने राज्य में एथेनाॅल के उत्पादन के संबंध में लगभग 21 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था लेकिन उस समय की केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी अन्यथा बिहार में काफी पहले से ही एथेनॉल का उत्पादन शुरु हो जाता। अब इसकी शुरुआत हो रही है, यह अच्छी बात है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008 से ही .षि रोडमैप बनाकर .षि के क्षेत्र में हमलोग कई काम कर रहे हैं। धान, गेंहू, मक्का, सब्जी, फलों समेत सभी चीजों का उत्पादन बढ़ा है। अब हमलोग जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। बिहार में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी है। गंगा नदी के किनारे अवस्थित कुल 13 जिलों में जैविक खेती के लिए .षि इनपुट अनुदान दिया जा रहा है। हमलोग जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। जलवायु में परिवर्तन को देखते हुए फसल उत्पादन के लिए मौसम अनुकूल .षि कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। पर्यावरण संतुलन को लेकर जल-जीवन-हरियाली अभियान भी चल रहा है। जल और हरियाली रहेगा तभी जीवन सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि मौसम के अनुकूल .षि अभियान को 8 जिलों से शुरुआत करके अब सभी जिलों में इसे लागू कर दिया गया है। इसमें बॉरलॉग इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा, बिहार .षि विश्वविद्यालय सबौर और भारतीय .षि अनुसंधान परिषद पूर्वी क्षेत्र की मदद ले रहे हैं। मौसम के अनुकूल खेती करने को लेकर किसानों को प्रेरित करने हेतु हमलोग इन सभी चीजों पर काफी कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित जो तीन एक्ट लाया गया है, वह किसानों के हित में है। यह किसानों के खिलाफ नहीं है। पहले भी नीति आयोग की बैठक में ए0पी0एम0सी0 एक्ट में संशोधन करने को लेकर जो प्रस्ताव आया था तो हमने कहा था कि बिहार में तो ए0पी0एम0सी0 एक्ट हमलोगों ने वर्ष 2006 में ही बंद कर दिया है। पहले लोगों को अपना सामान बेचने में दिक्कत होती थी। जब हमलोगों ने ए0पी0एम0सी0 एक्ट को समाप्त कर दिया तो सामान बेचने में किसानों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होने लगी। पहले प्रोक्योरमेंट भी यहाॅ नहीं होता था। उसके लिए भी हमलोगों ने काम शुरू किया और अब तो काफी प्रोक्योरमेंट हो रहा है। एक बार प्रोक्योरमेंट 24 लाख मीट्रिक टन हुआ था, पिछले वर्ष 20 लाख मीट्रिक टन और इस बार हमलोगों ने और तेजी से काम करवाया है। कल तक करीब-करीब 32.89 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हो चुकी है। हमलोगों ने पैक्स को विकसित किया। उन्होंने कहा कि प्रखण्ड स्तर पर व्यापार मंडल और पंचायत स्तर पर पैक्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर भी प्रोक्योरमेंट का काम चल रहा है। हमलोग की कोशिश है कि एग्रीकल्चर को और आगे बढायें। केन्द्र के द्वारा जो नीति बनेगी उससे सहयोग मिलेगा, इससे हमलोगों को और बढ़ावा मिलेगा, इसमें कोई शक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में हमलोगों ने कई काम बिहार में शुरु किये। हर घर बिजली पहुंचाने की योजना बनाई और वो पहुँच गयी और तब तक केंद्र सरकार की भी योजना बन गई तो उनका भी सहयोग मिला। वर्ष 2018 के अक्टूबर महीने में ही हर घर बिजली हमलोगों ने पहुंचा दी है। जब हमलोगों को वर्ष 2005 में काम करने का मौका मिला, उस समय यहां बिजली की खपत 700 मेगावाट थी और जून 2020 के आकंड़ों के अनुसार कुल खपत 5,932 मेगावाट तक पहुँच गयी है। राज्य सरकार लोगों को 5 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का अनुदान देती है। लोगों को कम कीमत पर बिजली मुहैया हो इसके लिए हमलोग कोशिश कर रहे हैं। प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाना हमलोगों ने शुरू कर दिया है। अब केंद्र सरकार भी इसे लागू कर रही है, इससे काफी फायदा होगा। प्री-पेड स्मार्ट मीटर के लागू होने से बिजली का दुरूपयोग नहीं होगा। लोगों को जितनी जरूरत होगी उतनी ही बिजली का वे प्रयोग करेंगे। बिजली का दुरुपयोग होने से पर्यावरण पर भी संकट उत्पन्न होता है इसलिए प्रारंभ से ही हमलोगों ने प्री-पेड स्मार्ट मीटर की बात कही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के प्लांटों के माध्यम से जो अलग-अलग राज्यों में बिजली जाती है, उसका रेट भी अलग-अलग है। इसके लिये एक नीति बननी चाहिए यानि वन नेशन, वन रेट हो। हमलोगों को बिजली काफी महँगी मिलती है, जिससे लोगों को राज्य सरकार की तरफ से ज्यादा अनुदान देना पड़ता है। पूरे देश के लिए एक नीति कर दी जायेगी तो काफी अच्छा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव संसाधन के विकास के लिए हमलोगों ने काफी काम किया है। केन्द्र की तरफ से जो प्रस्ताव आया है, वह ठीक है। जो नई नीति आई है जब उस पर भी बैठक हुई है, जिसमें राज्य सरकार की तरफ से अपनी बात कही गयी है और बाद में भी हमलोगों ने एक पत्र भेजा है। अच्छी बात है कि पूरे तौर पर शिक्षा का विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान का 73वें और 74वें सशोधन के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को और नगर निकायों को जो अधिकार दिये गये हैं, उसमें एक अधिकार शिक्षा का भी है। प्राइमरी शिक्षा से लेकर हाई स्कूल और प्लस टू तक की शिक्षा का अधिकार पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों को मिला है। हमलोगों ने उन्हें यह अधिकार दे दिया है। स्कूलांे के लिये भवन बनाये गये, भवनों का मेंटेनेंस करवाते हैं। शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है और उन्हें वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रद्धेय अटल जी की सरकार के समय से जो राशि तय की गयी थी, उस समय वह मिलती थी किंतु अब उतनी नहीं मिल रही है। हमारा आग्रह है कि जो पॉलिसी है, इसे देख लिया जाए। पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों को टीचर नियुक्ति का जो अधिकार मिला हुआ है, इसको देखते हुये जो नई पॉलिसी लायी जा रही है उसमें यह काम बेहतर ढंग से हो, यह ध्यान रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तीन लाख से भी ज्यादा टीचर का रिक्यूरमेंट हमलोगों ने करवाया, उन्हें वेतन दिया जा रहा है। समग्र शिक्षा कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार के तहत शिक्षकों के वेतन में जो राशि मिलती है वह राशि ससमय अगर मिल जाए तो राज्य सरकार को सुविधा होती है। लड़कियों की शिक्षा के लिए हमलोगों ने साइकिल योजना, पोशाक योजना जैसी कई योजनायें शुरू की। हमारे यहां लड़कियां तो पहले बहुत कम पढ़ती थीं किंतु अब पढ़ाई में लड़के और लड़कियों की संख्या बराबर हो गयी है। पिछले वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में लड़कियों की संख्या लड़कों से भी थोड़ी ज्यादा थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चपेट में पूरी दुनिया आई। अभी भी देश के कुछ राज्यों में कोरोना का प्रकोप है। हमलोगों के राज्य में तो बहुत घट गया है। हमलोग पूरी तरह से सतर्क हैं और टेस्ट भी करा रहे हैं। देश में ही वैक्सीन का विकास किया गया और पूरे देश में वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो रहा है। हम इसके लिए प्रधानमंत्री जी को बधाई देते हैं। बिहार में अगले चरण के टीकाकरण में पचास साल से अधिक उम्र वाले लोगों और पचास साल से कम उम्र वाले व्यक्ति जो अन्य बीमारी से भी ग्रस्त हैं उनके लिए भी उपलब्ध हो जाएगा। हम आश्वस्त करते हैं कि इस मामले में हमलोग पूरे तौर पर सहयोग करेंगे और केन्द्र की जो गाइडलाइन होगी उसका पालन करेंगे।
मुख्यमंत्री ने राज्य के स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के संबंध में जानकारी देते हुये बताया कि बिहार में वर्ष 2005-06 में शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार पर 61 थी, अब वह घटकर 32 हो गयी है। जब हमलोगों को काम करने का मौका मिला था तो बिहार में 2005-06 में सामान्य टीकाकरण 18 प्रतिशत था, अब वह बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है। हमलोगों ने अब टॉप फाइव राज्य में टीकाकरण का जो प्रतिशत है उसके अनुरूप बिहार को पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। मातृ मृत्यु दर एक लाख की आबादी पर 312 थी अब वह घटकर 149 हो गयी है। बिहार का प्रजनन दर 4.3 थी, वह अब घटकर 3.2 हो गयी है। हमलोगों ने प्रजनन दर को घटाने के लिए कई काम शुरू किये हैं। हमने सर्वे कराया तो पता चला कि अगर लड़की मैट्रिक पास है तो बिहार में प्रजनन दर 2 था और देश भर में भी प्रजनन दर 2 थी। यदि लड़की इंटर पास है तो देश भर में प्रजनन दर 1.7 थी और बिहार में 1.6 है। इससे यूरेका की भावना आई और हमलोगों ने तय कर दिया कि प्रत्येक पंचायत में प्लस टू तक की पढ़ाई का इंतजाम करेंगे ताकि सभी लड़कियाॅ इंटर तक की पढ़ाई आसानी से कर सकें। यह काम हमलोगों ने लगभग कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग सोलर एनर्जी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, यह बहुत अच्छी बात है। इसके साथ-साथ हर जगह हाइड्रोपॉवर प्लांट के लिए भी काम होना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमलोगों ने हरियाली को बढ़ावा देने के लिए काम करना शुरू किया। बिहार-झारखंड के बंटवारे के पश्चात बिहार में हरित आवरण 9 प्रतिशत ही था। उसके बाद हमलोगों ने वृक्षारोपण के अलावा अन्य कई काम शुरू किये जिसका परिणाम है कि अब वह बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है। कोरोना के दौर में भी हमलोगों ने 5 जून 2020 से 9 अगस्त 2020 तक 2 करोड़ 51 लाख वृक्षारोपण करने का लक्ष्य रखा था लेकिन मुझे यह बताते हुये काफी खुशी हो रही है कि कोरोना के बावजूद लक्ष्य से अधिक 3 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा वृक्षारोपण हुआ। इस प्रकार हमलोग जल-जीवन-हरियाली, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, मौसम के अनुकूल .षि के विकास, जैविक खेती और वृक्षारोपण के लिए काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाना है, आत्मनिर्भर देश बनाना है और बिहार को विकसित राज्य बनाना है। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने विकसित बिहार के लिए सात निश्चय-2 तय कर उस पर काम शुरू कर दिया है। हमलोग इस पर तेजी से काम करेंगे ताकि बिहार विकसित राज्य बन सके।