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दावें, वादों, हकीकत के बीच पंचायत चुनाव के, दांव पेंच शुरू!

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कार्यकारी संपादक पंकज कुमार ठाकुर की कलम से!

परिसीमन ने बिगाड़ा कईयों का खेल !

चुनाव यानी नेताजी के
जमीन पर कदम पड़ने का वक्त। चुनाव यानी एक बार फिर जनता को सब्जबाग दिखाने की तैयारी, चुनाव यानी आंखों में धूल झोंकने की बारी । बिहार में इस समय पंचायत चुनाव का शंखनाद होने वाला । 5 साल बीत गए। 5 साल भी जाते हैं धूल छटता है और इन्हीं प्रश्नों के कारण नेताजी के पसीने छूट रहे हैं। कल तक दूर-दूर तक नजर नहीं आने वाले नेता जी अब घर-घर दरी खाट पर बैठकर जनता का हाल चाल जानकारी ले रहे हैं।अचानक आई मुखिया जी के व्यवहार में बदलाव से जनता भी हतप्रभ है।इतना ही नहीं अभी तो नेताजी को जनता का हाल-चाल लेने का फुर्सत ही फुर्सत मिल गया है ।अभी नेताजी बड़े चाव से गांव घर में बैठ रहे हैं और जनता के दुख सुख को साझा कर रहे हैं 5 साल बाद पंचायत की भोली भाली जनता नेताजी को बेहद करीब पाकर बाहर से तो खुश नजर आ रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर उनके मन में कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि काश नेताजी पहले आए होते।

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का समय नजदीक आते जा रहा है। उम्मीदवारों ने चुनावी ने दांव पेंच चलाना शुरू कर दिया है।चुनाव का समय नजदीक आते ही सेवा भाव दिखाकर मतदाताओं की नब्ज टटोलने में जुगाड़ तंत्र का इस्तेमाल करने में नेताजी जुटने लगे है।

मतदाताओं को भी चुनावी रंग चढ़ने लगा !

संभावित त्रिस्तरीय पंचायत प्रत्याशियों को जनता न्योता दे बुलाने का कार्य प्रारंभ कर दिए है। पंचायत चुनाव की तस्वीर साफ नजर आने लगी है। संभावित उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के व्यवहार में खासा परिवर्तन नजर आने लगा है।बाजार के चौक- चौराहों सार्वजनिक चौपालों,गलियों की रौनक बढ़ने लगी है। शाम से देर रात तक आग सेकने के बहाने अलाव पर चुनावी चर्चाएं गर्म होने लगी है।अभी चुनावी बिगुल बजा भी नहीं है ग्रामीण इलाकों के छुट भईया नेताओं को पंच,सरपंच,मुखिया,पंचायत सदस्य,जिला परिषद सदस्य साहब कहकर संबोधित करने लगे है। जिससे उन छुट भईया नेताओं पर चुनावी रंग चढ़ने लगा है। वे भी चुनावी जमीन तलाशने लगे है।जेब में कभी हाथ न‌ डालने वाले छूट भईया नेता अब बाजार में खर्च करते नजर आने लगे है। अच्छे साफ सुथरा छवि के संभावित त्रिस्तरीय पंचायत उम्मीदवारों को तवज्जों में हमेशा जनता की सेवा और काम में आने वाले नेताओं को जनता चुनाव लड़ने का न्योता दे रहे है। खासतौर पर उन नेताओं को मौका मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।जिन्होंने अपने कार्यकाल में वार्ड से लेकर पंचायतों में विकास व जनता की समस्याओं के निराकरण को प्राथमिकता दिया है जिन्होंने जनता की सेवा के लिए संभवत: हर प्रयास किया है। ऐसे नेताओं की जीत की भी प्रबल संभावनाएं है।

आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हो सकता है तख्तापलट:

जिन क्षेत्रों में पहले त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों ने अपनी मनमानी व भ्रष्टाचार से लोगों का शोषण किया और विकास के प्रति उदासीन रहे है वहां तख्तापलट करने की उम्मीद जताई जा रही है।ऐसे में उनके विरोधी जनता से निरंतर संपर्क स्थापित कर रहे है। वही जनता ऐसे जनप्रतिनिधि से दूरी बना रहे है।

दिखने लगा शिष्टाचार और सेवाभाव!

पंचायती चुनाव की प्रक्रिया का पहला कदम आरक्षण के साथ रखा गया है‌।चुनावी तारीख का अभी कोई अता पता नहीं है।संभावित उम्मीदवार और उनके प्रबल समर्थकों के व्यवहार में परिवर्तन नजर आने लगा है। उनमें धर्म,शिष्टाचार,
नैतिकता,सद्भाव,सेवाभाव और समर्पण का व्यवहार नजर आने लगा है।वे परेशान,लाचार और जरूरतमंद लोगों की जरूरत पूरी करने की इच्छा जाहिर करने लगे है। वहीं मतदाताओं से रिश्तों का संबोधन कर अभिवादन करने लगे है।

आरक्षण को ध्यान में रखते हुए जाति,आवासीय- चरित्र प्रमाण पत्र बनाने में संभावित उम्मीदवार अभी से जुटने लगे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आहट को लेकर त्रिस्तरीय संभावित पंचायत प्रत्याशी जाति,आवासीय चरित्र सहित अन्य प्रमाण पत्र क्या लाभ है मतदाता सूची निकलवाने के जुगाड़ तंत्र में जुट गए। ताकि चुनावी शंखनाद होने पर उन्हें किसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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