राजनीति का कोई रिश्ता नही होता,ये ना तो अपनों को बख्शता
है ना परायो को महाभारत काल से ही आपने देखा है कुर्सी की लड़ाई कितनी भयावह होती है, राजनीति में बाप बेटे का नही होता और बेटा बाप का नही होता, इसका ताजा उदाहरण बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी और यूपी विधनसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव दे चुके है
किसी ने सच ही कहा है कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है, कुछ भी स्थाई नहीं होता ! महाराष्ट्र की राजनीति में भी अब पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता के बीच हुई मुलाकात के बाद कुछ ऐसी ही स्थिति आ गई है। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के केस से लेकर कोरोनावायरस समेत सभी मुद्दों पर शिवसेना की भद्द पिटने के बाद अब शायद उसे अपनी गलतियों का एहसास हुआ है और इसलिए संभावना है कि वो फिर भाजपा से नजदीकियां बढ़ाना चाहती है। ऐसे में शिवसेना के इतिहास को याद रखते हुए भाजपा को उससे दूरियां बनाने की आवश्यकता है।
अचानक हुई मुलाकात
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूटने और महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार बनने के बाद पहली बार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता संजय राउत ने मुंबई के एक पांच सितारा होटल में शनिवार को लगभग 2 घंटे की लंबी मुलाकात की। इस पूरे राजनीतिक डेवेलपमेन्ट के बाद से ही महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों में हलचल मच गई है और अलग-अलग तरह के कयास लगाये जाने लगे हैं।
गौरतलब हो की शिवसेना और भाजपा का एक लम्बा रिश्ता है और उसके पीछे कई कारण है आईये उन कारणों पर एक छोटी सी झलक डाले
- दोनों ही पार्टियाँ हिन्दुत्व के एजेंडे पर बात करती है
- दोनों ही पार्टियाँ काँग्रेस की धुरविरोधी रही है
3.भाजपा को मालूम है कि हिन्दुत्व पर शिवसेना जीतना लचीला रुख अपनाएगी उतना उसका वोटबैंक भाजपा के पास सरक जाएगा. कट्टर हिन्दुत्व के साथ आक्रामक राजनीति करना शिवसेना की पहचान रहा है. ऐसे मे झुक कर और अपने कोर विचारधारा से समझौता करके सत्ता मे बनें रहना शिवसेना के आत्मघाती कदम होगा - 4. राष्ट्रव्यापी सोच एक समान है
- 5.दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता समान विचारधारा के है
1 thought on “अरे ये साथ आये तो चौकिये मत, राजनीति में बेटा बाप का नहीं होता”
Everything is possible in politics