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बाल श्रीकृष्ण मिट्टी क्यों खाते थे? जानें इसके पीछे की गाथा!

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प्रस्तुति -अनमोल कुमार:-

भगवान श्री कृष्ण कि दो पत्नियाँ बताई गई है-एक श्री देवी और दूसरी भू देवी। जब भगवान लीला करने के लिए वृंदावन में अवतरित हुए तो जब भगवान पहली बार भूमि पर पैर रखा। चूंकि अब तक बाल कृष्ण चलना नही सीखे थे तो पृथ्वी भगवान से बोली- प्रभु ! आज आपने मुझपर अपने चरण कमल रखकर मुझे पवित्र कर दिया।

जब भगवान अपनी पत्नी भू देवी जी से बात करते तो कोई ना कोई आ जाती तो भगवान ने झट मिट्टी का छोटा-सा टुकड़ा उठाया और मुख में रख लिया और बोले कि पृथ्वी अब तुम मुझसे मेरे मुख में ही रहकर बात कर सकती हो। यही कारण था कि पृथ्वी का मान बढाने के लिए भगवान ने उनका भक्षण किया। दूसरा कारण यह था कि श्रीकृष्ण के उदर में रहने वाले कोटि-कोटि ब्रह्माण्डो के जीव ब्रज- रज गोपियों के चरणों की रज-प्राप्त करने के लिए व्याकुल हो रहे थे। उनकी अभिलाषा पूर्ण करने के लिए भगवान ने मिट्टी खायी।
भगवान स्वयं ही अपने भक्तो की चरण-रज मुख के द्वारा अपने हृदय में धारण करते है, क्योंकि भगवान ने तो स्वयं ही कहा है कि मैं तो अपने भक्तो का दास हूँ। जहाँ से मेरे भक्त निकलते है तो मैं उनके पीछे पीछे चलता हूँ और उनकी पद रज अपने ऊपर चढ़ाता हूँ। क्योकि उन संतों और गोपियों की चरण रज से मैं स्वयं को पवित्र करता रहता हूँ …!!

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