रचना – अनमोल कुमार
*. दोस्त बुलाये पर,
जानें का दिल न करे,
समझ लो बूढे हो गए।
*. पड़ोसन की जगह,
पत्नी पर ज़्यादा प्यार आनें लगे,
समझ लो बूढे हो चले।
*. नए कपड़े खरीदनें की,
इच्छा कम हो रही हो,
तो समझना बूढे हो चले।
*. रेस्टोरेंट में खाना खाते वक़्त,
घर के खाने की याद आने लगे,
समझना बूढे हो चले।
*. बारिश हो रही हो और,
पकौड़े की जगह छाता याद आये,
समझो बूढे हो चले।
*. हर बात पर युवाओं के,
फैशन पर टिप्पणी करनें लगे हो,
समझना बूढे हो चले।
*. मौज-मस्ती वाली फिल्मों की,
आलोचना करनें लगे हो तो,
समझना बूढे हो चले।
*. मस्त-महफ़िल सजी हो और,
उस दौरान मशवरा देने लग जाओ,
तो समझना बूढे हो चले।
*. फूल पर गुनगुनाते भंवरे को देख,
रोमांटिक गाना न याद आये,
समझना बूढे हो चले।
*. बेफिक्री छोड़ सर पर चिंता,
की टोकरी उठा ली हो,
समझना बूढे हो चले।
*. बार बार रिटायरमेंट की याद आए,
तो समझो बूढ़े हो गए।
*. घर से बाहर नहीं निकलने के बहाने बढ़ गए,
तो समझो बूढ़े हो गए।
*. इस पोस्ट को पढ़ने के बात वाह वाह करने की इच्छा नहीं है,
तो समझो बूढ़े हो गए।