ब्यूरो रिपोर्ट शंखनाद:
पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायत स्तर पर 15वें वित्त आयोग से मिली राशि खर्च करने के संबंध में निर्देश जारी किया है. इसके अनुसार, अब मुखिया 15वें वित्त आयोग से मिली राशि में से केवल 2.5 लाख रुपये तक की योजनाओं पर ही लाभुक समिति से काम करा सकेंगे. इससे अधिक की राशि के काम के लिए टेंडर कराने की जरूरत होगी.
इस निर्देश से सभी उप विकास आयुक्त तथा सभी जिला पंचायत राज पदाधिकारी को अवगत करा दिया गया है. पहले मुखिया को 14वें वित्त आयोग के तहत पांच लाख तक खर्च करने का अधिकार था. इससे अधिक की लागतवाली योजना के लिए टेंडर का प्रावधान था. यानी पिछले साल ग्राम पंचायत स्तर पर पांच लाख तक का काम लाभुक समिति से कराया जा रहा था.
कुछ दिन पहले जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम ने इस संबंध में विभाग से जानकारी मांगी थी. इसके साथ ही अन्य जिलों ने भी 15वें वित्त आयोग से काम कराने के संबंध में दिशानिर्देश मांगा था. इसके बाद निदेशक ने स्पष्ट किया कि अब इसमें संशोधन कर दिया गया है. उन्होंने लिखा कि पहले का आदेश 14वें वित्त आयोग मद से ग्राम पंचायत स्तर पर लाभुक समिति से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रभावी था.
अब 15वें वित्त आयोग मद की राशि से ग्राम पंचायत स्तर पर लाभुक समिति के माध्यम से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिकतम सीमा 2.50 लाख रुपये ही अनुमान्य होगी.
मुखिया की शक्ति घटना ठीक नहीं : मुखिया संघ
झारखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष विकास कुमार महतो ने कहा है कि आज के समय में 2.5 लाख रुपये में छोटी से छोटी योजना लेना भी संभव नहीं हो पाता है. ऐसे में उनकी वित्तीय शक्ति घटाना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार से बातचीत की जायेगी. अपनी बातें मंत्री व सचिव के समक्ष रखेंगे. उन्होंने कहा कि अब तक कई जगहों पर मुखिया ने पांच लाख रुपये तक की योजनाओं का क्रियान्वयन कराया है. ऐसे में अब इस नये आदेश से मामला फंस सकता है.