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निगरानी की छापेमारी में मगध वी.वी. के कुलपति के ठिकानों से आय से अधिक संपत्ति की पुष्टि:- ABVP

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:- अरविंद कुमार की रिपोर्ट

मोतिहारी:–मगध विवि के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद के कई ठिकानों पर निगरानी की छापेमारी कर विवि के पैसे का बंटाधार, व्याप्त भ्रष्टाचार एवं आय से अधिक संपत्ति की पुष्टि हुई है। विदित हो कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूर्व में ही कई बार विवि में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता एवं भ्रष्टाचार का आरोप कुलपति पर लगाया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रविकांत पाण्डेय ने प्रेस सम्मेलन में उक्त बातें कही।

विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता रविकांत पाण्डेय ने बताया कि विवि में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री, राज्यपाल, बिहार सरकार के साथ-साथ केन्द्र एवं राज्य के कई मंत्रालय को साक्ष्य के साथ पत्र भेजा गया था एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कुलपति द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और अनियमिताओं के विरुद्ध उच्च न्यायालय, पटना में जनहित याचिका जनवरी 2021 में दायर किया था। जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय पटना ने राजभवन को जांच करने हेतु निर्देशित किया।

स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण को कार्रवाई जरूरी
विद्यार्थी परिषद समस्या के खिलाफ आवाज उठाने के साथ समाधान तक संघर्ष करती हैं और इसी के परिणामस्वरूप निगरानी की स्पेशल टीम की छापामारी के बाद पूर्व में लगाए गए सभी आरोपों की पुष्टि हो गई है। अब दोषी कुलपति एवं सभी आरोपियों की अविलंब गिरफ्तारी कर उन्हें उनके पदों से मुक्त कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होना चाहिए। इससे विवि में स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण का निर्माण होगा।

ट्रांसफर पोस्टिंग में चला खेल
गोलू कुमार पांडेय ने कहा कि कुलपति लगातार भ्रष्टाचार कर रहे हैं। कई ट्रांसफर पोस्टिंग में भी पैसे का बंदर बांट हुआ है, जिसकी जांच होनी चाहिए। कुलपति के कार्यकाल में गया स्थित एवं अन्य जिलों के कॉलेजों में भी विवि के नियमों को ताक पर रखते हुए काफी टेंडर एवं ऐसे कार्य किए गए हैं जो कि भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता हैं। कई महाविद्यालयों की कई सालों से ऑडिट भी नहीं कराया जाना आर्थिक भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण है।

कुलपति ने नहीं निपटाया छात्रों की समस्या
जब से वर्तमान कुलपति ने अपना पदभार संभाला है, छात्रों को मूल प्रमाण पत्र की समस्या तभी से शुरू हो गई थी। छात्रों को मूल प्रमाण पत्र न मिलने की स्थिति में नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। पूरा विवि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है।

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