शकील की रिपोर्ट
:-गुरु नानक देव की जयंती प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारे में देर शाम तक चलता रहा लंगर
:-प्रकाश पर्व पर गुरूवाणी को उद्धृत कर नगर निगम की निवर्तमान सभापति ने दिए संदेश
बेतिया। नगर के वार्ड 24 स्थित गुरुद्वारा साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव जी की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मनायी गयी। शुक्रवार को देर शाम तक चले आयोजन में नगर निगम की निवर्तमान सभापति लंगर में प्रसाद ग्रहण के बाद देर शाम तक आयोजित धार्मिक पंगत में बतौर मुख्य अतिथि शामिल रहीं। इस मौके पर गुरुद्वारा के ग्रन्थि साहेब करमजीत सिंह ने अंग वस्त्र के साथ गुरुग्रंथ की प्रति भेंट कर उनका सम्मान व स्वागत किया। इस मौके पर गरिमा देवी सिकारिया ने वाहेगुरु का खालसा-वाहेगुरू की फतेह कह कर अपनी बात का आरम्भ किया। गुरु नानक देव के उपदेश के हवाले से उन्होंने कहा कि उन्होंने हम सबको ‘इक ओंकार’ का मंत्र दिया है। उनका कहना था कि ईश्वर एक है और सभी जगह मौजूद है। हम सबका पिता वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए। गुरु नानक देव जी ने लोगों को लोभ त्यागकर नीतिपूर्वक धन कमाने का उपदेश दिया है। उन्होंने कहा था कि धन कमाकर मानवता के कल्याण में उसका उपयोग करना चाहिए। नानक देव के उपदेशों का हवाला देकर श्रीमती सिकारिया ने कहा कि प्रथम गुरु ने हक की बात कही थी और उनका मानना था कि कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए। बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंदों की भी मदद करनी चाहिए। पंगत में बड़ी संख्या में शामिल महिलाओं की तारीफ करते हुये श्रीमती सिकारिया ने कहा कि नानकदेव जी ने कहा है कि सभी को हमेशा स्त्री जाति का आदर-सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी स्त्री व पुरुष सभी को एक समान मानते थे। ईर्ष्या, बुराई और अहंकार को नानकदेव जी ने मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है और कहा कि हमें कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। बल्कि विनम्र होकर सेवा भाव से अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। गुरु नानक देव पूरे संसर को एक घर मानते थे और उनका मानना था कि संसार में रहने वाले लोग परिवार का हिस्सा हैं। गुरु नानक देव ने लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश दिया।