बाढ़- छठ घाटों की स्थिति बेहद खतरनाक संभलकर जाएँ श्रद्धालु, प्रशासनिक रवैया से लोगों में आक्रोश!

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:- रवि शंकर अमित/गोविंद कुमार!

मोकामा – आस्था का महापर्व छठ आज से शुरू हो गया है आज नहाए खाए हैं और लोग भक्ति भाव में डूब चुके हैं लेकिन घाटों की स्थिति बेहद दयनीय है नाजुक है और खतरनाक है इतना खतरनाक घाट शायद ही आपने देखा होगा जब 2 से 3 कदम जाते ही 20 से 30 फीट तक का पानी मिलता है साथ ही कीचड़ और दलदल,इसके निर्माण कार्य में ग्रामीण लगे हुए हैं, उसे किसी तरह दुरुस्त कर अर्घ देने की व्यवस्था बनाई जा रही है नदी किनारे रहने वाले लोगों के लिए यह बेहद खतरनाक है और हम आपको सिर्फ सावधान कर रहे हैं, कि जहां पर भी बैरिकेड किया हुआ घाट है सिर्फ वही जाएँ, प्रशासनिक रवैया बेहद उदासीन है, मुखिया के द्वारा घाटों का निर्माण कराया जा रहा है या फिर स्थानीय जो लोग हैं ग्रामीण हैं उनके द्वारा अपने स्तर से करवाया जा रहा है, जब हमने अधिकारियों व से व जनप्रतिनिधियों से इस बाबत बात की तो उन्होंने आदर्श आचार संहिता का मामला बता दिया, हालांकि यह कोई नई बात नहीं है पिछले कई दशकों से यही होता रहा है,ग्रामीण अपने स्तर से ही घाटों का निर्माण करते हैं, इसे लेकर अब ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश भी देखा जा रहा है, क्योंकि नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्र में सरकार के द्वारा प्रशासन के द्वारा स्थाई अथवा और अस्थाई छठ घाटों की व्यवस्था की जा रही है और हमेशा से की जाती है, लेकिन सबसे अधिक आबादी जो ग्रामीण क्षेत्र में रहती है वहां प्रशासन के द्वारा कोई भी व्यवस्था नहीं की जाती है, जिससे लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है हमने ग्राउंड जीरो से लगभग दो दर्जन से अधिक घाटों की समीक्षा की तो पाया कि सभी घाट बेहद ही खतरनाक और जानलेवा स्थिति में है, स्थानीय लोग मिलकर उसके निर्माण कार्य में लगे हुए हैं ताकि छठ महापर्व किसी तरह संपन्न किया जाए!

बाइट – भवेन्द्र कुमार, प्रखंड प्रमुख मोकामा (काला गमछा में )
बाइट – शैलेन्द्र प्रसाद, जिलाध्यक्ष भाजपा सह मुखिया (येलो शर्ट में )
बाइट – नीलेश कुमार पवन, जिला महामंत्री, भाजपा (पिंक शर्ट में )
बाइट – धर्मवीर कुमार, राजस्व कर्मचारी (काला शर्ट में )
अन्य बाइट – मजदूर व ग्रामीण

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