रिपोर्ट- बिकास कुमार
सहरसा :- आषाढ महिनें में आयोजित गुप्त नवरात्र का हवन-पूजन एवं कुमारी कन्या भोजन के साथ नौ दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हुआ। इसके अंतर्गत नवरात्र के नौवें दिन दस महाविद्या की आराध्य माता मातंगी एवं माता कमला की पूजा-पाठ कर हवन किया गया।इस संबंध में पंडित कामेश्वर झा,पंडित रविन्द्र झा,पंडित शिवम कुमार नें बताया कि वर्ष में चार नवरात्र मनाये जाने की परम्परा आज भी विद्यमान है।जिसकें अंतर्गत दो गुप्त एवं दो प्रकट नवरात्र मनाया जाता है।जिसमें चैत एवं अश्विन महिनों में दुर्गापुजा उत्सव का आयोजन धूमधाम से किया जाता है।जबकि आषाढ एवं माघ महिने में गुप्त नवरात्र की साधना सिद्धि प्राप्ति के लिए साधक कठिन साधना कर पूजा-पाठ हवन अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है।आषाढ महिने के गुप्त नवरात्र में माता कामाख्या मंदिर में विशेष पूजा-पाठ का आयोजन कर अंबूबाची मेला व उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।वही शहर के बड़ी दुर्गास्थान, कालेज गेट, मत्स्यगंधा काली मंदिर सहित अन्य स्थान पर कलश स्थापित कर धूमधाम से आयोजन किया जाता है।इस अवसर पर नवमी दिन कुमारी कन्या पूजन कर भोजन व श्रृंगार सामग्री दान में दिया गया।विगत पचास वर्ष सें वर्ष के चारों नवरात्र में व्रत-उपवास कर साधना में लीन गंगजला निवासी आनंदी दास नें बताया कि सच्ची भक्ति व माता की कृपा से कठिन से कठिन साधना सफल होती है।इसके लिए श्रद्धा विश्वास व पूर्ण समर्पण की आवश्यकता जरूरी है।माता की आशीर्वाद सें हमारी हर मनोकामना पूर्ण हुई है।माँ के निर्देशानुसार अपने हाथों सें मिट्टी की प्रतिमा बनाता हूं लेकिन उनकी आकृति स्वत: निर्मित हो जाता है।इसमे मेरी कोई कारीगरी नही रहती है।उनकी भव्य प्रतिमा जब तैयार होता है तो मै भी हैरान रह जाता हूं कि माता अपनी सुन्दर आकृति स्वयं बना लेती है।उन्होने बताया कि अब आश्विन महिने में पुन: उनकी घर-घर गुंज रहेगी।




