रिपोर्ट- अमित कुमार
बिहार में विभिन्न बोर्डों और निकायों में नियुक्तियों को लेकर घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा का कहना है कि इन नियुक्तियों का सिलसिला लगातार जारी है, जबकि जदयू के मुख्य प्रवक्ता का दावा है कि मुख्यमंत्री को इन नियुक्तियों की जानकारी नहीं है। यह वाकया ऐसे समय में सामने आया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
बिहार में बोर्ड और आयोगों के गठन की स्थिति
बिहार में बोर्ड, निगम और आयोगों के गठन को लेकर लंबे समय से गतिरोध चला आ रहा था। अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस मसले को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण हस्तक्षेप करने वाले हैं। संभावना है कि जदयू और भाजपा के बीच 50-50 का फॉर्मूला लागू किया जाएगा, जिसमें जदयू को प्रशासनिक बोर्डों में ज्यादा हिस्सेदारी दी जा सकती है, जबकि भाजपा आर्थिक और व्यावसायिक बोर्डों पर अपना दबदबा बना सकती है ¹।
राजनीतिक मायने
इस मुद्दे पर जदयू और भाजपा के बीच रिश्तों को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन महागठबंधन इस मुद्दे पर एनडीए को घेर सकता है और आरोप लगा सकता है कि यह गठबंधन सत्ता बंटवारे पर ही अटका हुआ है।
नियुक्तियों की प्रक्रिया
हाल ही में बिहार सरकार ने संस्कृत शिक्षा बोर्ड का पुनर्गठन किया है, जिसमें मृत्युंजय कुमार झा को अध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही जदयू और भाजपा के विधायकों को भी सदस्य बनाया गया है। इसके अलावा भी कई आयोगों और बोर्डों में नियुक्तियां की गई हैं।