कंसखार टॉवर पर मूत्रालय निर्माण अनुचित ‌‌‌‌ ‌‌‌‌ हो श्रीकृष्ण शौर्य स्थल का निर्माण!

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रिपोर्ट अनमोल कुमार

मथुरा, दिनांक – मथुरा में स्थित कंसखार टॉवर, वह ऐतिहासिक स्थल है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म के प्रतीक अपने मामा कंस का वध कर धर्म की पुनः स्थापना की थी। उसी पवित्र स्थान पर विश्राम घाट के निकट बने मुत्रालय (शौचालय) का विरोध भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान वर्ष 2022 से लगातार कर रहा है।
संस्थान की स्पष्ट मांग है कि इस अपवित्र निर्माण को हटाकर उस पावन स्थली को “श्रीकृष्ण शौर्य स्थल” के रूप में विकसित किया जाए, जिससे यह स्थान आने वाली पीढ़ियों के लिए धर्म, न्याय और विजय का प्रतीक बन सके।
संस्थान के अनुसार, धर्म केवल पूजा नहीं, वह कर्तव्य और न्याय है। श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है —
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
“धर्मो रक्षति रक्षितः” — जो धर्म की रक्षा करता है, वही सुरक्षित रहता है।
भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के उपाध्यक्ष श्री कपिल आनंद चतुर्वेदी ने कहा कि यह स्थल सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि “अधर्म पर धर्म की विजय” का जीवंत प्रमाण है। वहां पर शौचालय जैसे निर्माण न केवल श्रद्धा का अपमान है, बल्कि यह श्रीकृष्ण भक्तों की भावना को ठेस पहुँचाने वाला भी है।
इस मुद्दे पर संघर्ष को बल तब मिला जब भारत सरकार के संयुक्त सचिव श्री नवीन कुमार शाह (आईएफएस) ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तकनीकी जानकारी मंगवाई। जाँच में यह सामने आया कि कंसखार टॉवर पुरातत्व विभाग के अंतर्गत संरक्षित स्थल है, जो किसी की निजी संपत्ति नहीं है। अतः उस पर इस प्रकार का निर्माण असंवैधानिक और अनुचित है।
ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री शैलजा कांत मिश्रा” द्वारा भी इस स्थान को श्रीकृष्ण शौर्य स्थल के रूप में विकसित करने पर सहमति दी गई है, और कार्यवाही के आश्वासन के साथ संस्थान के उपाध्यक्ष को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
संस्थान का मानना है कि —
“धर्म पर उपदेश देने वाले तो बहुत हैं, पर धर्म पर चलने वाले विरले हैं। धर्म को समझकर ही धर्म की रक्षा संभव है।”
यह संघर्ष धर्म की रक्षा का संघर्ष है, और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से यह संघर्ष निरंतर जारी रहेगा। हम सब केवल निमित्त हैं, वास्तव में कार्यकर्ता स्वयं श्रीकृष्ण हैं।

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