एक हाथ से दिव्यांग और पैर से दिव्यांग नवनियुक्त शिक्षक शिक्षा का जलायेंगे अलख।

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रिपोर्ट- सुमित कुमार!

एक हाथ से दिव्यांग और पैर से दिव्यांग नवनियुक्त शिक्षक शिक्षा का जलायेंगे अलख। सरकारी स्कूलों पढ़ाकर बिहार के बच्चे का सवारेंगे भविष्य। दिव्यांग नवनियुक्त शिक्षक को देख अधिकारियों ने की हौसलाअफजाई।

-मुंगेर अगर मन में हौसले है और लक्ष्य को पाना है इन दो दिव्यांग नवनियुक्त शिक्षक को देख कर सीखे। किस तरह अपने सपनो को साकार करने के लिए समाज के ताने को दरकिनार कर आगे बढ़ कर बच्चो को शिक्षा काअलख जगाने के लिए शिक्षक बने है। बांका और किशनगज जिला से आये दो नवनियुक्त शिक्षक अपनी नियुक्ति पत्र लेने के लिए मुंगेर के पोलो मैदान पहुंचे जंहा दोनों शिक्षकों के हौसले देख अधिकारी भी दंग रह गए। एडीएम मनोज कुमार और उप विकास आयुक्त अजीत कुमार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों दोनों दिव्यांग शिक्षकों को मंच पर नियुक्ति पत्र देकर उसके हौसले को सलाम किया।

बांका जिला धोरैया प्रखंड के चंदला गांव के रहने वाले नवनियुक्त शिक्षक मो गुलाम आलम बताते है की हम लोग किसान परिवार से है। 13 वर्ष के उम्र में खेत में पटवन करने के दौरान बिजली की तार को छू देने के कारण करंट लगने से दाहिना हाथ मेने गंवा दिया जिसके बाद में बांये हाथ से लिखना शुरू किया और आज में शिक्षक बन गया। उन्होंने कहा मेरा चयन उच्च स्तरीय माध्यमिक शिक्षक के रूप में हुआ और मेरा राजनीतिक विज्ञान का विषय है। उन्होंने कहा बचपन से शिक्षक बनने का सपना था। 2012 डीलर में चयन हुआ था और कार्य कर रहा हूँ उन्होंने बताया 2023 में मेरी शादी हुई एक छोटा बच्चा है जिसके कारण नियुक्ति पत्र लेने के लिए अकेला आया हूँ। आलम ने बताया की समाज के लोग बहुत ताने मारते थे कहते थे एक हाथ से कैसे आगे बढ़ सकता है लेकिन आज समाज ताने देना छोड़ दिया और परिवार के लोग बहुत खुश है। उन्होंने कहा में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बधाई देना चाहता हूँ जिन्होंने तीसरी बार नियुक्ति परीक्षा करवाया और मेरा चयन हुआ है।

किशनगंज जिला से आयी नवनियुक्त शिक्षिका आतिया परवीन ने बताया की तीन वर्ष के उम्र दोनों पैर पोलियो का शिकार हो गया लेकिन थोड़ी बहुत पैदल चल पाती हूँ। आज नियुक्ति पत्र मिला है इसके लिए बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को धन्यवाद देना चाहता हूँ की उनके द्वारा स्कूल और कॉलेज में मिलने वाले राशि से पढ़ाई कर आज शिक्षक बनी हूँ. उन्होंने कहा इस मुकाम पर पहुंचने में पूरा परिवार का सहयोग रहा उन्होंने दिव्यांग युबाओ से कहा की अपने आप धैर्य बना कर रखिये मेहनत का फल मीठा होता है।

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