पंकज कुमार जहानाबाद ।
विद्या की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा इन दिनों जहानाबाद शहर से लेकर गांव तक जोर-शोर से बनाया जा रहा है। अब सरस्वती पूजा में महज दो दिन समय रह गए हैं। ऐसे में कारीगर मां की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। लेकिन विद्या की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने वाले कारिगरों की अपनी ही व्यथा है। उनकी भी इच्छा रहती है कि बच्चे महंगे सरकारी विद्यालय में पढ़ सके। लेकिन विडंबना यह है कि मुश्किल से बच्चों का भरण पोषण हो रहा है। प्रतिमा बनाने के कार्य से इस महंगाई में आय इतनी कम है कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में कहें तो इन कारीगरों से लक्ष्मी लगभग रूठ सी गई है। इसके कारण वे लोग न तो अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा दे पा रहें हैं और नहीं बेहतर जीवन स्तर। वे लोग अपने पुश्तैनी धंधे को जीवित रखते हुए किसी तरह इस काम को जारी रखे हुए हैं। चंद महीने हीं इससे काम मिल पाता है। ऐसे में मौसमी बेरोजगारी इनकी आर्थिक स्थिति को और भी बदहाल कर रहा है। मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे कारीगरों का कहना है कि आज के दौर में सभी सामान महंगे हो गए हैं। प्रतिमा तो चार हजार से शुरू होकर 15 हजार तक है। लेकिन आवश्यक सामग्रियों की कीमत और मेहनत को देखते हुए जो आमदनी होनी चाहिए वह नहीं हो रही है। अपने पुश्तैनी धंधे से जुड़े इन मूर्तिकारों को सरकार से भी मदद की उम्मीद है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित विश्वकर्म योजना के लाभ से ऐसे अधिकांश कारीगर आज भी वंचित है। शहर के मल्हचक मोड़ के समीप मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे सूरज कुमार, पिंटू कुमार तथा नीतीश कुमार समेत अन्य कारीगरों ने बताया कि सरकारी स्तर पर यदि हम लोगों को मदद मिलता है तो स्थिति बेहतर होगी और इस कार्य को आगे भी व्यापक तौर पर संचालित रखा जा सकता है। फिलहाल इस कार्य से काफी मुश्किल से घर चल रहा है।
Byte – सूरज कुमार,कारिगर
पिंटू कुमार,कारिगर
नीतीश कुमार,कारिगर