रिपोर्ट- आशीष कुमार!
अंडों से तकदीर बदलने की कहानी : नालंदा के ‘टुल्लू जी’ ने रचा सफलता का इतिहास
रविंद्र नाथ सिंह के ‘नालंदा एग्रो फार्म’ से रोज निकल रहे 42,000 अंडे, दो दर्जन लोगों को मिला रोजगार
बिहारशरीफ : बेरोजगारी की चुनौती से जूझ रहे भारत में नालंदा के एक व्यक्ति ने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से न केवल खुद के लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। यह प्रेरणादायक कहानी है 54 वर्षीय रविंद्र नाथ सिंह की, जिन्हें लोग प्यार से ‘टुल्लू जी’ कहते हैं। बिन्द प्रखंड के बिन्द गांव के निवासी रविंद्र ने नौ साल पहले अपने जीवन में एक साहसिक बदलाव किया। सड़क निर्माण क्षेत्र में काम करते हुए, अहियाचक में एक अंडा उत्पादन केंद्र देखकर उन्हें एक नई दिशा मिली। इस अनुभव से प्रेरित होकर, उन्होंने अपनी पांच बीघा जमीन पर ‘नालंदा एग्रो फार्म’ की स्थापना की।बेनार-सकसोहरा मुख्य मार्ग के मसाढ़ी खंधा में स्थित यह फार्म प्रतिदिन 42,000 अंडों का उत्पादन कर रहा है। इन अंडों की आपूर्ति न केवल नालंदा, बल्कि शेखपुरा, नवादा और पटना जैसे पड़ोसी जिलों में भी की जाती है।
रविंद्र की सफलता का मूल मंत्र है उनकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान। वे अपने फार्म में ही मुर्गियों के लिए दाना तैयार करते हैं, जिससे अंडों की गुणवत्ता उच्च स्तर की बनी रहती है। इसी कारण, बाजार से थोड़ा अधिक मूल्य होने के बावजूद, उनके अंडे तेजी से बिक जाते हैं। फार्म की स्थापना में रविंद्र ने कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा। उनके अनुसार, दो फार्म के बीच कम से कम 40 फीट की दूरी और फार्म का रुख पूर्व-पश्चिम होना आवश्यक है। उनके फार्म में चूजों को आरा जिले से मंगाया जाता है। एक चूजे पर पांच महीने तक लगभग 418 रुपये (48 रुपये खरीद + 370 रुपये पालन) का खर्च आता है। ये चूजे पांच महीने बाद अंडे देना शुरू करते हैं और करीब दो साल तक प्रतिदिन एक अंडा देते हैं। आर्थिक दृष्टि से रविंद्र का यह उद्यम अत्यंत सफल रहा है। वर्तमान में उनका मासिक टर्नओवर लगभग 30 लाख रुपये है, जो सालाना 3 करोड़ 60 लाख रुपये तक पहुंचता है। इसमें सामग्री खर्च, कर्मचारियों का वेतन और मुनाफा शामिल है। रविंद्र की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि उन्होंने अपने इस उद्यम से लगभग दो दर्जन लोगों को रोजगार दिया है। कर्मचारियों को उनके अनुभव के आधार पर 5,000 से 14,000 रुपये तक का मासिक वेतन मिलता है। रविंद्र का मानना है कि कोई भी व्यक्ति छोटे स्तर से इस तरह का व्यवसाय शुरू कर सकता है। वे सलाह देते हैं कि सही मार्गदर्शन, अनुभव और पशु चिकित्सक के संपर्क में रहने से एक सफल एग्रो प्लांट स्थापित किया जा सकता है और नुकसान का जोखिम कम किया जा सकता है। रविंद्र नाथ सिंह की यह कहानी दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति की दूरदर्शिता और मेहनत न केवल उसके जीवन को बदल सकती है, बल्कि समाज के लिए भी रोजगार और विकास के नए द्वार खोल सकती है।