निभाष मोदी, भागलपुर
● एफ़डीपी वर्कशॉप के दूसरे
दिन 250 से अधिक शिक्षकों ने लिया भाग।
तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) कार्यशाला के आयोजन के दूसरे दिन समाज विज्ञान एवं मानविकी संकाय के नियमित एवं अतिथि शिक्षक, प्राचार्य, पीजी हेड्स समेत कुल 250 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी दी। प्रतिभागियों का स्वागत संबोधन डीन एकेडमिक प्रो. अशोक कुमार ठाकुर ने किया। प्रो. ठाकुर ने कहा कि इस तरह के आयोजन से शिक्षकों को करियर अभिमुखीकरण में लाभ मिलेगा। उनके बौद्धिक ज्ञान में वृद्धि होगी। नई-नई चीजों और शिक्षण तकनीकों को सीखने का मौका मिलेगा। संचालन पीजी जूलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ऋतु मिश्रा ने किया।
पीजी अर्थशास्त्र विभाग की प्रोफेसर डॉ. रूमा सिन्हा एवं पीजी अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो. यूके मिश्रा ने बतौर रिसोर्स पर्सन के तौर पर शिक्षकों को शिक्षण शैली के महत्वपूर्ण टिप्स दिए। उन्होंने शिक्षण, परीक्षा आयोजन संबंधी गतिविधियां, शोध कार्य एवं पब्लिकेशन पर जोर दिया।
टीएमबीयू की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति (एनईपी) तथा प्रचलित नीति में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए कई टिप्स दिये।
धन्यवाद ज्ञापन पीजी जूलॉजी के शिक्षक डॉ. पीके राय ने किया।
रिसोर्स पर्सन डॉ. रूमा सिन्हा ने कहा कि शिक्षकों को वैचारिक शिक्षण (कन्सेप्च्यूल लर्निंग) पर केंद्रित होना चाहिए न कि याद करने और सुनाने पर। उन्होंने सही शिक्षण के लिए बिन्दुवार टॉपिक का वर्णन किया यथा छात्रों को शिक्षा के लिए संवारने, छात्रों की उपस्थिति, प्रॉपर इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं प्रॉपर एडमिनिस्ट्रेटशन पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों में पढ़ाई से बचने की प्रवृत्ति को रोकने पर भी बातें की। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा अंत: विषयक (इंटर डिसिप्लीनियरी) हो रही है। शोध कार्य ना केवल व्यक्तिगत बल्कि आर्थिक एवं सार्वजनिक रूप से लाभप्रद है।
रिसोर्स पर्सन पीजी अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो. यूके मिश्रा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 से लेकर नई शिक्षा नीति 2020 तक के तुलनात्मक अध्ययन का विश्लेषण किया। प्रो. मिश्रा ने कहा कि 1986 के शिक्षा नीति के तहत देश भर में 66 स्टाफ़ अकेडमिक कॉलेज खोले गए थे जो फैकल्टी डेवलपमेंट का कार्य कर रहे थे। उन्होंने ओरिएंटेशन कोर्स एवं रिफ्रेशर कोर्स का जिक्र किया। कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण में गुणवत्ता विकास को लेकर कई आयामों की सविस्तार चर्चा की और कहा कि इसके लिये नैक गठित की गई। जबकि यूजीसी शिक्षकों को अवार्ड एवं राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षणिक सम्मेलनों में शिरकत के लिए सहयोग करती है जो शिक्षा में गुणवत्ता के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि यूएसए में जिन शिक्षकों का जर्नल में पब्लिकेशन नहीं होता उन्हें तरजीह नहीं दी जाती है, लेकिन हमारे यहाँ खासकर बिहार में टाईम बाउंड प्रोमोशन कर दिया जाता है। प्रो. यूके मिश्रा ने शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिये शोध कार्य को अनिवार्य बताते हुए कहा कि ‘ पब्लिश एंड फ्लोरिश ‘। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को निसन्देह प्रोन्नति मिलनी चाहिए लेकिन पब्लिकेशन एवं गाइड की भूमिका निभाए बैगर नहीं। प्रो. मिश्रा ने कहा कि शिक्षकों की शैक्षणिक गुणवात्ता से ही शिक्षा में गुणवत्ता लाई जा सकती है। उन्होंने रिसर्च मेथेडॉलॉजी कोर्स में भी विकास के आयाम पर बल दिया।
टीएमबीयू की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की-नोट एड्रेस के दौरान नई शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न आयामों पर बल देते हुए कहा कि 29 जुलाई को इसके एक वर्ष पूरे हो चुके हैं और इनके बिना देश का शैक्षणिक विकास मुश्किल है। उन्होंने कहा कि कोई शिक्षक बहुत ज्ञानी है लेकिन यदि भाषा विशेष के कारण वे इसे सही तरीके से व्यक्त नहीं कर सकते हैं तो उसका लाभ छात्रों को नहीं मिल पाता है। उन्होंने एक से अधिक भाषा के ज्ञान को भी आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आने वाले समय के नेतृत्व कर्ता को सक्षम बनायेगी। कुलपति ने कहा कि एक गुणवत्ता पूर्ण शिक्षक ही एक गुणवत्ता पूर्ण छात्र तैयार कर सकता है। कहा कि अन्य देशों में जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा और उसकी गुणवात्ता पर खर्च किया जाता है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत 40 % ऑनलाइन और 60% ऑफ़लाईन मोड में शिक्षण कार्य करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक को नई शिक्षा नीति 2020 के ड्राफ्ट की पर्याप्त और स्पष्ट जानकारी जरूर होनी चाहिए।
कुलपति ने विश्वविद्यालयों में शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान और शिक्षकों के गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मानक वाले शोध जर्नलों में शोध पत्रों के प्रकाशन पर बल दिया। साथ ही उन्होंने शिक्षकों से ई-कंटेंट बनाने और उसे वेबसाइट पर अपलोड करने की दिशा में भी पहल करने को कहा। ताकि छात्रों को इसका लाभ मिल सके। उन्हें स्टडी मेटेरियल मिल सके। ऑनलाइन एसाईगनमेन्ट, ई-लर्निंग आदि पर भी जोर दिया। शिक्षक वेबिनारों का नियमित आयोजन करें और उसमें अपनी भागीदारी दें। इससे उनके ज्ञान में वृद्धि होगी।
यह जानकारी विश्वविद्यालय पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर ने दी।