रवि शंकर शर्मा की रिपोर्ट :-
राजनितिक आरक्षण के विरुद्ध पटना हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुये चीफ जस्टिस संजय करोल एवं एस कुमार की खंडपीठ ने आदेश जारी करते हुये ओबीसी, ईबीसी के लिये नगर निकाय के वार्डों में 20% सीटों पर आरक्षण को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है, राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग कों फटकार लगाते हुये नगर निकायों में आरक्षित वार्डों की सीटों पर मतदान नहीं कराने के आदेश जारी किये हैँ! इस आदेश में माननीय न्यायलय ने कहा है की ऐसी सभी सीटों पर मतदान नहीं होंगे जहाँ ओबीसी और ईबीसी के लिये आरक्षित किया गया है! हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा की आपने सुप्रीम कोर्ट के नियमों की अनदेखी की है, वहीं राज्य निर्वाचन आयोग को भी फटकारते हुये कहा की आपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहण नहीं किया है! सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से राजनैतिक आरक्षण लागु करने से पहले ट्रिपल टी के फॉर्मूले पर काम कर रिपोर्ट सबमिट करने को कहा था, जो राज्य सरकार ने नहीं किया, इस ट्रिपल टी में पिछड़ा आयोग का गठन करना, निकायों में ओबीसी और ईबीसी का अनुपात तय करना तथा उसके आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत कर आरक्षण का प्रावधान करना था, जिसे दरकिनार करते हुये राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने आनन फानन में ओबीसी और ईबीसी के लिये वार्डों में 20% आरक्षण का प्रावधान करते हुये चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया था, ऐसे वार्डो के लिये चुनाव पर रोक लगा दी गई है, हाई कोर्ट ने कहा की ऐसे वार्डों को सामान्य समझा जाए और उसी अनुसार वहाँ चुनाव कराया जाय! इस आदेश के बाद ऐसे सभी आरक्षित वार्डों में अब चुनाव नहीं होंगे! जबकी जो सीटें अथवा वार्ड, पार्षद,महापौर, उपमाहापौर,सभापति, उपसभापति आदि सामान्य थीं अथवा एससी, एसटी के लिये आरक्षित थीं वहाँ चुनाव पूर्ववत होंगे!