SC/ST मामलों पर कड़ी निगरानी: 208.20 लाख मुआवजा वितरित, 301 मामलों में तेजी लाने का निर्देश!

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रिपोर्ट- संतोष तिवारी!

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 तथा मैन्युअल स्कैवेंजर रोजगार निषेध एवं पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की इस वर्ष की चतुर्थ बैठक मंगलवार को समाहरणालय सभागार में संपन्न हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में जिले में पंजीकृत मामलों की प्रगति, मुआवजा भुगतान, लंबित मामलों के निराकरण और मैन्युअल स्कैवेंजिंग उन्मूलन जैसे अहम विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।

बैठक में बताया गया कि वर्ष 2025 में अब तक कुल 208.20 लाख रुपये राहत एवं मुआवजा पर व्यय किए गए हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जिले के विभिन्न थानों में दर्ज 198 मामलों में पीड़ितों को प्रथम किस्त का मुआवजा उपलब्ध कराया गया है। वहीं आरोप पत्र समर्पित 145 मामलों में मुआवजा की द्वितीय किस्त का भी भुगतान कर दिया गया है, जिससे प्रभावित परिवारों को न्याय एवं राहत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा है।

मृतक आश्रितों को पेंशन एवं नौकरी

बैठक में यह भी बताया गया कि हत्या के मामलों में 68 आश्रितों को मासिक पेंशन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप चार मामलों में मृतक के आश्रितों को सरकारी नौकरी दी गई है और इनकी नियुक्ति प्रखंड, अंचल व अनुमंडल कार्यालयों में की गई है। इसके अलावा तीन अन्य मामलों में मृतक के आश्रितों को नौकरी प्रदान करने की प्रक्रिया जारी है, जो शीघ्र निष्पादित होने की संभावना है।

लंबित 301 मामलों पर सख्त निर्देश

बैठक में सबसे गंभीर मुद्दा उन 301 मामलों का रहा, जिनमें आरोप पत्र दायर नहीं हो सका है। इस पर सभी थानाध्यक्षों को निर्देश दिया गया कि ऐसे मामलों में गिरफ्तारी, कुर्की-जब्ती की कार्रवाई तेज की जाए तथा लंबित मामलों में जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल की जाए, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और दोषियों पर प्रभावी कार्रवाई हो।

बैठक में कहा गया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति से जुड़े मामलों को “पूरी गंभीरता, संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई” के साथ निपटाया जाए। यह भी निर्देश दिया गया कि पीड़ितों को समय पर मुआवजा, सुरक्षा और अन्य सभी विधिक सुविधाएं उपलब्ध कराना संबंधित अधिकारियों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

मैन्युअल स्कैवेंजिंग पर जिले की स्थिति शून्य, सतर्कता बरतने का निर्देश

मैन्युअल स्कैवेंजर रोजगार निषेध एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत कराए गए सर्वे के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले में मैन्युअल स्कैवेंजर की संख्या शून्य है। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इस विषय पर विशेष निगरानी बनाए रखें। कहा गया कि सफाई कार्यों में किसी भी परिस्थिति में मैन्युअल स्कैवेंजिंग नहीं होनी चाहिए और इसके लिए मशीनों व आधुनिक तकनीकी उपकरणों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने नगर निकायों को नियमित निरीक्षण करने और किसी तरह की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

जनहित में अधिनियम का व्यापक प्रचार-प्रसार
——————– अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों को लेकर आम लोगों में जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। बैठक में निर्देश दिया गया कि अधिनियम के बारे में जनहित में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए ताकि पीड़ित समुदायों को उनके अधिकारों, कानूनी सहायता और सरकारी प्रावधानों की जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके। इसके लिए जागरूकता अभियान, पोस्टर, जनसभाएं और पंचायत स्तर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाने के भी निर्देश दिए गए।

सभी विभागों को समन्वय बनाते हुए त्वरित कार्रवाई की अपील

बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे आपसी समन्वय और तत्परता के साथ कार्य करें, ताकि किसी भी पीड़ित को न्याय एवं राहत पाने में बाधा न आए। अतः सभी विभाग निर्धारित समयसीमा में अपने कार्यों को पूर्ण करें और प्रकरणों की निरंतर समीक्षा करते रहें।

इस प्रकार जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की चौथी बैठक कई महत्वपूर्ण निर्णयों व निर्देशों के साथ संपन्न हुई, जिससे जिले में SC/ST अत्याचार निवारण और मैन्युअल स्कैवेंजिंग उन्मूलन के प्रयासों को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए हैं।

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