रिपोर्टर — राजीव कुमार झा!
जिला पदाधिकारी ने किया विद्यापति कला उत्सव–2025 का उद्घाटन
महाकवि विद्यापति को स्मरणीय एवं सांस्कृतिक चेतना को समर्पित कला समागम पर आधारित दो दिवसीय कार्यक्रम विद्यापति कला उत्सव-2025 का विधिवत उद्घाटन जिला पदाधिकारी-सह-निदेशक, मिथिला चित्रकला संस्थान, मधुबनी आनंद शर्मा के द्वारा संस्थान के बहुउद्देषीय सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जिलाधिकारी के द्वारा किया गया, इस दौरान पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री शिवन पासवान, नीतीश कुमार, उपनिदेषक, मिथिला चित्रकला संस्थान, डॉक्टर रानी झा, प्रतीक प्रभाकर, कनीय आचार्य, सुरेन्द्र्र प्रसाद यादव, लेखा पदाधिकारी, विकास कुमार मंडल, रूपा कुमारी, सहायक एवं आज के विद्यापति परिचर्चा के वक्ता डॉक्टर निक्की प्रियदर्षनी तथा भैरव लाल दास मंच पर मौजूूद रहे।
कार्यक्रम की शुरूआत मंगलाचरण नृत्य की प्रस्तुति के साथ हुई जिसमें संस्थान की छात्रा सुश्री बिन्दी एवं सुश्री मेधा झा ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। उसके बाद सृष्टि फाउंडेशन द्वारा दुर्गा स्तुति की प्रस्तुति ने सबों का मन मोह लिया।
इसी कड़ी में जिला पदाधिकारी द्वारा महाकवि विद्यापति के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया। मौके पर उन्होंने कहा कि महाकवि विद्यापति भक्ति रस एवं श्रृगांर रस के बहुत ही विद्वान कवि थे। उनके भक्ति में इतनी शक्ति थी कि स्वयं भगवान शंकर को उगना के रूप में यहाॅ आना पड़ा। उन्होने विद्यापति की रचना कीर्तिलता एवं कीर्तिपताका का भी उल्लेख किया। उन्होंने चैतन्य महाप्रभु के बारे में भी अपना विचार व्यक्त किया। उन्होनें संस्थान में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं से कहा कि कोई भी काम इतनी लगन एवं मेहनत से करना चाहिए कि उन्हे वह मुकाम हासिल हो जाए।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में विद्यापति परिचर्चा की शुरूआत वक्ता डॉक्टर निक्की प्रियदर्षनी द्वारा किया गया। उन्होनें अपने परिचर्चा में सौराठ गांव, यहां के मैथिल समाज एवं यहां के कवियों पृष्ठभूमि पर प्रकाष डाला। उन्होंने विद्यापति के द्वारा रचित पदावलियों पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाकवि विद्यापति बहुत ही दूरदर्शी थे। उन्होनें आज के सामाजिक कुरितियों जैसे भ्रष्टाचार, बाल विवाह, बेमेल विवाह आदि पर अपनी रचनाएं लिखी थी। उन्होंने कृषि, भाईचारा, पलायन, शिक्षा आदि अनेकों सामाजिक विषयों पर अपनी रचनाएं लिखी थी। उन्होंने शिव, दुर्गा, काली, गंगा, राधा-कृष्ण एवं राम-सीता आदि सभी देवी देवताओं पर अपने गीत लिखे थे।
कार्यक्रम को आगे बढाते हुए विद्यापति परिचर्चा के दूसरे वक्ता भैरव लाल दास ने महाकवि विद्यापति के वंषजों एवं उनके निवास स्थान आदि के बारे में जानकारी दिया। उन्होंने कहा कि कवि विद्यापति के साहित्य, गीत आदि की चर्चा तो सभी करते हैं परन्तु चित्रकला से संबंध के बारे में कोई नही बताता। उन्होंने कहा कि विद्यापति पर आधारित पेंटिंग बहुत ही कम लोग बनाते हैं जिसमें से कर्पूरी देवी, कामिनी कश्यप एवं मृणाल सिंह प्रमुख है। उन्होंने कहा कि राधा का जिक्र सभी करते हैं मगर राधा का आगमन साहित्य में कब हुआ ये कोई नहीं जानता। उन्होनें बताया कि राधा का आगमन 12 वी शताब्दी में हुआ था। उन्होनें छात्र-छात्राओं से कई प्रश्न भी किया। उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग के लिए साहित्य का ज्ञान बहुत जरूरी है और साहित्य का अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने अपने भाषण में डबल्यू0 जी0 आर्चर एवं ग्रियर्षन का भी जिक्र किया। उन्होंने कवि विद्यापति की रचनाओं को सहेजने एवं उनको प्रषारित करने में डबल्यू0 जी0 आर्चर एवं ग्रियर्षन की अहम भूमिका का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि महाकवि विद्यापति की गिनती ऐसे ही महाकवि के रूप में नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि मीराबाई, तुलसीदास, सूरदास आदि सभी विद्यापति से प्रभावित थे। उन्होनें कहा कि विद्यापति दुख, सुख, विरह, प्रेम, प्रकृति, भक्ति आदि सभी भाव में बसते थे और इन सभी से संबंधित रचनाएं, गीत उन्होंने लिखा है।
कार्यक्रम में संस्थान के छात्र-छात्राओं ने भी अपनी प्रस्तूती दी। कार्यक्रम के द्वसरे चरण में राजनीति रंजन, मधुबनी द्वारा गायन एवं श्रीमती सलोनी मल्लिक एवं सृष्टि फाॅउण्डेशन द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया। मौके पर संस्थान में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं सुश्री बिन्दी कुमारी, पूजा कुमारी, काजल कुमारी, सुरभि कुमारी, नेहा कुमारी, अंजली कुमारी, कल्पना कुमारी, मुनकी कुमारी, साक्षी कुमारी, मेधा झा एवं श्री मनोज कुमार झा आदि ने गायन एवं नृत्य प्रस्तूत किया।




