मोकामा विधानसभा चुनाव में दो बाहुबलियों की सीधी भिडंत-मुद्दे गौण!

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रिपोर्ट अनमोल कुमार

मोकामा। बाहुबलियों के बर्चस्व में मोकामा की मूल समस्याएं बलि की भेट चढ़ गयी है। भारत सरकार का वस्त्र निगम का उपक्रम बिहार विभर्स स्पेनिंग मिल ( सूता मिल ) दो दशकों से भी अधिक बन्द हो कर अपनी बेबशी पर सिसकियां मार रहा है। हाल में बेगूसराय से विजयी सांसद बड़हिया निवासी, जिनका सरोकार और संबंध मोकामा से भी है। अभी भारत सरकार में केन्द्रीय वस्त्र मंत्री, गिरिराज सिंह है जो इस समस्या का निराकरण कर सकते हैं। दूसरी ओर भारत सरकार के भारी संयंत्र और रेल मंत्रालय के संयुक्त उपक्रम जहाँ मालवाहक रेल के डिब्बे का निर्माण होता था, भारत वैगन एण्ड इंजीनियरिंग कंपनी भी बर्षो से बन्द पड़ा हुआ है जिसके जीर्णोद्धार निर्माण से मोकामा में ना केवल रौनक आ जाएगी, बल्कि बहुत हद तक बेरोजगारी की समस्या का भी निदान हो जाएगा। बिहार सरकार के शराबबंदी के कारण हथिदह स्थित मैकडुअल कंपनी के बन्द होने से बहुत लोग बेरोजगार हो गये हैं। हथिदह स्थित बेहतर चर्म उद्योग, जो बेहतर टेनरी के लिए प्रसिद्ध था, वह बाटा कंपनी भी बन्द पड़ा हुआ है। मोकामा घाट स्थित स्टीमर मरम्मत का कारखाना भी पूर्णतः बन्द पड़ा है। पूर्व में मोकामा में दाल और मिर्चा के बड़ा मण्डी के रूप में मशहूर था,जहाँ से पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से व्यापारी व्यापार करने आते थे, वह भी नदारद हो गया।सूरजभान सिंह और नाटा सिंह गुट में रंगदारी टैक्स और आपसी बर्चस्व के कारण कई अपराधी, आम नागरिक और व्यापारी को मौत के घाट उतार दिया गया, जिसके कारण बहुत सारे व्यापारी पलायित हो गये। एक मात्र कृषि पर ही आधारित मोकामा टाल क्षेत्र ( जो साल में एक ही फसल दलहन और तेलहन) की उपज के लिए जाना जाता है। वह भी जल प्रबंधन के कारण विकसित नहीं हो पाया। जल प्रबंधन से यहाँ के किसान तीन – चार फसलों का उत्पादन कर संपन्न हो सकते हैं। बर्षो से यहाँ के जनप्रतिनिधियों द्वारा टाल योजना के मुद्दों पर चुनाव जीते, परन्तु वह भी ढांक के तीन पात निकला और टाल योजना टालू योजना बनकर रह गया है। यहाँ ढंग का एक भी अस्पताल नहीं है जिसके कारण पीड़ितों को 90 किलोमीटर दूर पटना का मुंह देखना पड़ता है। कुल मिलाकर मोकामा का कृषि, व्यापार, उद्योग, चिकित्सा पूर्णतया चौपट हो गया, जिसपर किसी जनप्रतिनिधियों द्वारा सार्थक पहल नहीं हो पाया। मोकामा जो पावन गंगा नदी के तट पर अवस्थित है। इसे पर्यटक केन्द्र के रूप में विस्तारित कर आय संसाधन को बढ़ाया जा सकता है। यहाँ धार्मिक स्थल के रूप में भगवान परशुराम का मन्दिर जहाँ अक्षय तृतीया को परशुराम जन्मोत्सव पर बहुत बड़ा मेला, क्लब यात्रा,प्रवचन,महायज्ञ का 7 दिवसीय आयोजन होता है।स्थापित शिवनार का नीलकण्ठ महादेव मन्दिर जहाँ प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि में भारी मेला लगता है।मोर का भगवती स्थान जहाँ आश्विन माह के नवमी को मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं द्वारा भैसा और बकरे की बलि चढाये जाते है। माँ मरियम धाम ( चर्च ) जहाँ माँ मरियम ने यीशु मसीह के जन्म का स्वपन देखा था। फरवरी माह में यहाँ देश विदेश से लोग आते है। 3 अक्टूबर, 25 दिन शुक्रवार को नीतीश कुमार के अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में कतिपय शर्तों के अधीन पटना जिला के मोकामा शहर में पर्यटन विभाग द्वारा सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पर्यटकीय सुविधाएं विकसित करने के लिए पथ निर्माण विभाग मौजा – मोकामा खास, थाना – 30 का 10.11 एकड़ ( दस एकड़ ग्यारह डिस मिल भूमि पर्यटक विभाग को नि:शुल्क हस्ताक्षरित करने की स्वीकृति दिया गया। चर्चा है कि इस भूमि पर विशाल बालाजी का आकर्षक मन्दिर स्थापित होना है और कारीडोर के माध्यम से भगवान परशुराम के मन्दिर से जोड़ना है। चुनाव के बाद अब जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा कर मोकामा को देश – विदेश में स्थापित करने में अपना योगदान दें।
मोकामा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या – 2,70,000 है, जिसमें भूमिहार – 80,000 अनुसूचित जाति ( दलित) – 52,000 कुर्मी – धानुक – 40,000 यादव – 25,000 अल्पसंख्यक ( मुस्लिम) -10, 000 अति पिछड़ा / अन्य – 63,000 है।
जातीय समीकरण और गोलबंदी में भूमिहार, कुर्मी – धानुक, अति पिछड़ा और दलितों का अधिकांश मत एनडीए को जाएगा। वही दूसरी ओर भूमिहार, यादव, मुस्लिम, दलित और अन्य वोट महागठबंधन की झोली में जाने की संभावना है। जो उम्मीदवार भूमिहार, दलित और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को अधिक प्रभावित करेगा उसका जीत पक्का माना जा रहा है।
1990 में बाहुबली, दिलीप कुमार सिंह ( अनन्त सिंह) के बड़े भाई ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में यहाँ से जीत हासिल किया था। इसके पूर्व दो बार कांग्रेस से श्याम सुंदर सिंह धीरज विधायक थे, जिसे दिलीप कुमार सिंह का समर्थन मिलते रहा। बाद में दिलीप कुमार सिंह ने सोचा कि जब मेरे समर्थन से ये जीतते है तो क्यों नहीं मै ही चुनाव लड़ जाऊँ। आखिर वही हुआ। 1995 में जनता दल से पुनः दिलीप कुमार सिंह ने जीत दर्ज किया। बर्ष – 2000 में सूरजभान सिंह ने जेल में बन्द रहकर जीत हासिल किया। 2005 से अबतक मोकामा विधानसभा सीट पर अनन्त सिंह का कब्जा बरकरार है। अनन्त सिंह के जेल जाने के बाद 2022 में अनन्त सिंह की पत्नी, नीलम देवी ने उपचुनाव में 16,741 मतों से बहुचर्चित नलिनी रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की धर्मपत्नी, सोनम देवी को पराजित कर जीत हासिल किया।इस विधानसभा में पुरूष मतदाता – 1,48,494 है और महिला मतदाता – 1,22,000
है। दो बाहुबलियों के भिडंत में किसान पलड़ा भारी है। इस रोचक और बढते धड़कन को सुनने के लिए लोग बेताब है। 15 अक्टूबर को सूरजभान सिंह ने लोक जनशक्ति पार्टी पशुपति पारस का पलड़ा छोड़ कर राष्ट्रीय जनता दल का पलड़ा थाम लिया और पत्नी, वीणा देवी को महागठबंधन का टिकट मिल गया। कभी सूरजभान सिंह के सलाहकार और शागिर्द रहे नलिनी रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जो भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। साथ ही यहाँ से टिकट के प्रबल दावेदार थे, अब नारूठ चल रहें हैं और अनन्त सिंह विरोधी होने के नाते अनरूनी रूप से अनन्त सिंह का विरोध और सूरजभान सिंह को साथ दे सकते हैं। जनता दल यूनाइटेड के एम एल सी नीरज कुमार भी मोकामा विधानसभा से चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे थे, टिकट नहीं मिलने की स्थिति में इनका दावपेंच भी चुनाव में प्रभाव डाल सकता है ‌।
दूसरे तरफ अनन्त सिंह उर्फ छोटे सरकार के अत्यंत करीबी और सागिर्द राष्ट्रीय जनता दल में एम एल सी , कार्तिक सिंह उर्फ मास्टर साहब है जो दलगत रूप से सूरजभान सिंह को समर्थन दे सकते हैं। दोनों उम्मीदवारों का धुआधार जनसभा और जनसंपर्क जारी है। चर्चा है कि इस बाघ – भैसें के लडाई में जीत किसकी होगी। मोकामा विधानसभा का चुनाव बेहद दिलचस्प और रोमांचक मोड़ पर पहुँच गया है।सनद रहे कि सूरजभान सिंह लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं। इनकी धर्मपत्नी, वीणा देवी भी लोकसभा की सांसद रहीं हैं। साथ ही सूरजभान सिंह के सहोदर भाई भी लोकसभा के सांसद रह चुके हैं। अपने सौम्य और शिष्टाचार के कारण ये अपना प्रभाव मतदाताओं पर डाल सकते हैं।
दूसरे तरफ अपने अक्कड़ स्वभाव और स्थानीय ठेठ भाषा के कारण अनन्त सिंह हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। इनकी अदा के लोग दिवाने हैं।

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