धर्मेंद्र कुमार

दरभंगा एक साथ 6 शवों की अंत्येष्टि हृदय विदारक, 24 घन्टे में 12 मौतें, दरभंगा में कोरोना ने मचाया कोहराम, अन्तिम यात्रा में अपनों ने छोड़ा साथ,रिश्तों पर कोरोना का खौफ भारी, वही दूसरी तरफ चिंता की लपटों के बगल में मुस्लिम रीतिरिवाज से भी अपनों के छोड़ने से लवरीश हुए शव दफनाया जा रहा है। अनजान फरिश्ते बने अन्तिम यात्रा के साथी, जीवन की परवाह किए बगैर लगातार ऐसे शवों की अंत्येष्टि कर मानवता की मिसाल पेश कर रहे है संस्थान के सदस्य।
दरभंगा में कोरोना का कहर इस कदर बरपा है कि पिछ्ले 24 घन्टे में 12 मौतें तो 48 घंटे में 18 से भी ज्यादा मौते होने से दाह संस्कार के लिए बने प्लेटफॉर्म कम पर गये है अब तक ये दृश्य बड़े शहरों में देखने को मिल रहे थे लेकिन कोरोना के कोहराम से रूह कंपा देने वाली ये दृश्य अब दरभंगा में भी देखने को मिल रही है जहां एक साथ 6 शवों की अंत्येष्टि हृदय विदारक है ।वही दूसरी तरफ चिंता की लपटों के बगल में मुस्लिम रीतिरिवाज से भी शव दफनाया जा रहा है। जिला प्रशासन, नगर निगम के सहयोग से कबीर सेवा संस्थान के सदस्य बारी बारी से विधि विधान के साथ इन कोरोना से हुई मौते जिनके परिजन के रहते हुए लावारिस होने के बाद शवों की अंत्येष्टि कर रहे है ।
कोरोना का दुसरा लहर लगातार कहर बन कर सामने आया है , मानव जाति पर कोरोना का बेरहम सलुक रोजना इंसानी जिंदगी को लील रही है । हालात इतने खराब होते जा रहे है कि पिछले 24 घन्टे में दरभंगा में कोरोना ने तो तबाही मचा दी है। सिर्फ दरभंगा जिला में ही कोरोना ने 12 जिंदगी को लील लिया । पहली बार दरभंगा में एक साथ 6 चितायें जलती देख लोगों का कलेजा मुंह को आ गया । एक साथ इन 6 कोरोना शवों की अंत्येष्टि हृदय विदारक थी। गौतलब है कि इस अन्तिम यात्रा में एक आध शवों के साथ ही एक दो परिजन आए बाकी के शवो के साथ इनका अपना कोई नही आया था ।यही संस्था के सदस्य जहां एक ओर हिन्दू रीतिरिवाज से दाह संस्कार कर रहे है व्ही दूसरी तरफ मुस्लिम समाज के भी शवों को दफनाने का काम किया जा रहा है।
बहरहाल,दरभंगा में कोरोना महामारी के इस दौर में मानवीय रिश्ते तार तार होती नजर आ रही है । कोरोना से जिनकी मौत हो रही है उसमें ज्यादातर के परिजन अपनों के शव छोड़कर भाग जा रहे है । ऐसे शवों के अन्तिम संस्कार करने मे दरभंगा जिला प्रशासन की मुश्किले बढ़ रही है । लेकिन कबीर सेवा संस्थान के प्रमुख सदस्य नवीन सिन्हा और उनकी टीम लगातार ऐसे कामों के लिए आगे आकर मिसाल पेश कर रहा है।
वही कबीर सेवा संस्थान के प्रमुख सदस्य नवीन सिन्हा बताते है कि वो और उनकी टीम के सदस्य बारी से बारी से तमाम सुरक्षा मानकों के तहत ऐसे शवों का अन्तिम संस्कार कर रहे है । उन्होने अचरज व्यक्त करते हुए कहा कि जब हमलोग ऐसा कर सकते हैं तो फिर परिजन क्यूं नही ऐसा कर सकते है ,जींदगी भर जिसके साथ रहे अन्तिम समय में उसे लावारिस छोड़ देना दुखद है। ।उन्होने कहा कि वे लोग अबतक लगभग 50 कोरोना शवों का अन्तिम संस्कार किए है लेकिन इनलोगों को तो कुछ नही हुआ फिर परिजन क्यूं भाग रहे है ।
इस विपत्ति में जब परिजन भी हमलोगों के साथ आयेंगे तो हमलोगों का भी हौसला बढ़ेगा ।
वही संस्था के मुश्लिम सदस्य मो उमर, जिन्होंने मुस्लिम समाज के शव को दफनाने का काम कर रहे है उन्होंने भी समाज से निवेदन किया की ऐसे शव को नहीं छोड़े अपनों का साथ जरूर मिले अंतिम यात्रा पर।