शंकर दयाल मिश्रा की कलम से

शाम में साढू भाई का मैसेज आया- दर्जनों की संख्या में कोरोना पॉजिटिव वैम्पायर बनकर घूम रहे हैं। बस में, ट्रेन में, ऑटो में, टोटो में, सड़कों पर…! कहानी पूरी तरह से फिल्मी हो गई है।
वैम्पायर!
यह शब्द आते ही अचानक से नजरों के सामने नरपिशाच का चेहरा कौंध गया। किताबों में, अंग्रेजी फिल्मों/ अंग्रेजीदां वेब सीरीज व कार्टून का वैम्पायर जब उत्तेजित होता है तो उसकी दो नुकीली दांतें मुंह के बाहर आ जाती है और वह सामने वाले गर्दन में गड़ाकर खून चूस लेता है। जिसकी गर्दन में वह दांत गड़ाता है वह या तो मर जाता है या वैम्पायर बन जाता है।
कोरोना के साथ भी तो कुछ ऐसा ही है। कोरोना संक्रमित भले ही दांत गड़ाकर खून न चूसते हों पर वे किसी को छू देंगे/जाएंगे तो संक्रमण उसमें ट्रांसमिट हो जाएगा। फिर हो सकता है कि मर भी जाए। यानी वैम्पायर टाइप से कोरोना संक्रमित या तो अगले को संक्रमित बना देगा या संक्रमण जान ले लेगा।
बहरहाल, सवाल यह कि कोरोना मरीज कैसे वैम्पायर बने घूम रहे हैं? आज की ही बात है। एक परिचित युवक से बात हुई। उसने बताया कि दफ्तर से कोरोना जांच कराने के लिए कहा गया था। उसने सदर अस्पताल में जांच कराई। रिपोर्ट पॉजिटिव बताया गया। हालांकि अभी रिपोर्ट मिला नहीं है। जांच करने वाले ने कहा कि घर चले जाएं, मैं रिपोर्ट भेज दूंगा। घर जाने के लिए अस्पताल से कोई साधन नहीं मिला। इसके बाद वह ऑटो में बैठकर स्टेशन आया और फिर ट्रेन पकड़कर अपने घर आ गया है। मतलब कि ऑटो से ट्रेन होते हुए घर तक पहुंचने में उसने कितने लोगों को संक्रमण बांटा होगा!
हमारे एक सहकर्मी ने बताया कि भागलपुर के जिलाधिकारी सुब्रत सेन का बयान था, जो भी पॉजिटिव होगा उसे उसके घर तक एंबुलेंस से पहुंचाया जाएगा, पर पिछले एक हफ्ते में एक भी संक्रमित को अस्पताल से एंबुलेंस से घर पहुंचाने की जानकारी नहीं मिली।
ये कैसी व्यवस्था है? पॉजिटिव आने वाले रोगियों को पिछले साल प्रशासन घर पर एम्बुलेंस भेजकर उठवा लेता था और इसबार जानबूझकर जांच केंद्र से भी जाने दिया जा रहा है!
रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर भी सिर्फ रोगी को बताकर छोड़ दिया जा रहा है कि घर जाओ चाहे अस्पताल जाओ। जहां भी जाओ वहां पहुंचते-पहुंचते और पांच-सात लोगों को प्रसाद बांट दो! कहीं ये ये सोची समझी रणनीति है सरकार की, ताकि हर्ड इम्युनिटी बन जाये बड़ी आबादी में।
अगर ऐसा है तो कोरोना का खौफ पैदा क्यों किया जा रहा है। जाहिर है कि सरकार और प्रशासन भले ही कोरोना को लेकर गंभीरता दिखा रहा है, गाइडलाइन जारी की जा रही है, पर इस दफे कोरोना मरीजों को वैम्पायर बनाकर सड़क पर घूमने को बाध्य भी वही किए हुए है।