रिपोर्ट: धर्मेंद्र पांडेय

मृत्यु के बाद देहदान अमर होने का सबसे अच्छा तरीका: सुशील मोदी
DMCH के प्राचार्य ने कहा मेडिकल पढ़ाई में छात्रों को मिलेगा जबरदस्त फायदा!
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने दरभंगा पहुंच कर परिवार से की मुलाकात!
दरभंगा। कहते है मर कर अगर अमर होना है तो आप अपना नेत्रदान के साथ मरणोपरांत देह दान करें, ताकि दुनिया छोड़ने के बाद भी आप सिर्फ लोगो की यादों में नही बल्कि आप दूसरों के शरीर में समा कर खुद की आंखों से दुनिया को देखते रहेंगे और लोगो के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेंगे।
ऐसा ही कुछ किया वसुधा झा ने जिन्होंने जीते जी यह संकल्प लिया कि मरणोपरांत वे न सिर्फ अपना नेत्र दान करेगी बल्कि मेडिकल के छात्रों को पढ़ाई में मदद के लिए अपना देह भी दान करेगी । महज 50 वर्ष की आयु में असमय मौत के बाद वसुधा के परिवार वालो ने उनकी इस इच्छा को पूरा भी किया और उनका पूरा शरीर दरभंगा मेडिकल कालेज को दान में दे दिया गया । वसुधा पहली ऐसी महिला बनी जिसमे दरभंगा मेडिकल कालेज को अपना शरीर मरणोपरांत दान किया । वसुधा अपने इस साहसिक निर्णय से न सिर्फ खूब चर्चा में है बल्कि मर कर भी वो अमर हो गयी हैं । यही कारण है कि अब हर कोई वसुधा के परिवार को सम्मान भरी नजरों से देखता है ।
शहर के लक्ष्मीसागर मोहल्ले के प्रणव ठाकुर और उनकी पत्नी वसुधा रानी ने समाज और रिश्तेदारों की नाराजगी की परवाह किए बिना देहदान कर दिया है. पिछले 27 मार्च को वसुधा रानी का निधन हो गया. इसके बाद उनका शरीर दरभंगा मेडिकल कॉलेज के छात्रों को पढ़ाई के लिए दे दिया गया. साथ ही उनकी आंखें पटना के आईजीआईएमएस को दान दे दी गईं, जिससे उनके दुनिया में नहीं होने के बाद भी उनकी आंखों से कोई दुनिया देख सकेगा.
दधीची देहदान समिति ने आज वसुधा के परिवार वालो का सम्मान किया, जिसमें बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी पहुंचे। जहां उन्होंने वसुधा के घर लक्ष्मीसागर पहुंच कर परिवार से मिले और परिवार के हिम्मत की खूब तारीफ की। साथ ही वसुधा के पति प्रणव ठाकुर को एक लाख रुपये का चेक भी प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया ।
सुशील कुमार मोदी ने अपने संबोधन में शरीर दान के खूबियां बताई। साथ ही मीडिया से बात करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अंग दान और शरीर दान करने में लोगो की रूचि बढाना और जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है क्यों कि मरने के बाद शरीर को जला दिया जाता है या जमीन के अंदर दफना दिया जाता है। ऐसे में वह शरीर किसी काम का नही होता है ।अगर उस शरीर को दान कर दिया जाए तो न जाने कितनों की जिंदगी बदल सकती है और कई लोगो को मौत के मुंह से भी बचाया जा सकता है ।
वही मृतक वसुधा के पति प्रणव कुमार ठाकुर ने बताया कि खुद वे ओर उनकी पत्नी अपना शरीर दान देने का संकल्प पहले ही ले चुके हैं। ऐसे में उनकी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए वे सामाजिक ताने बाने के साथ साथ सनातन धर्म से ऊपर उठकर मानव धर्म की सेवा की है, ताकि जरूरत मंद लोगो को मरणोपरांत भी मदद कर वे उनकी खुशी में अपनी खुशी देख सके । हांलाकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करना कोई आसान काम नही क्यों कि इसमें कई तरह के अपने और पराए का विरोध भी झेलना पड़ रहा है। हांलाकि उन्होंने यह भी माना कि उनके नेक काम के समर्थन में इतने ज्यादा लोग शामिल हो गए हैं कि विरोध करनेवालों की संख्या कम पड़ गई है ।
वही दरभंगा मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने बताया कि वसुधा के शरीर DMCH को मिलने से वहाँ पढ़नेवाले छात्रों को बेहद मदद मिलेगी और छात्रों को रिसर्च का भी मौका मिलेगा और इसके फायदे कही न कही समाज के हर तबके को मिलेगा।