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भागलपुर।बिहार में शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए बिहार कला केंद्र, पटना द्वारा इस वर्ष का कथक विंटर कैंप 26 दिसंबर से 30 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। पांच दिनों तक चलने वाला यह विशेष प्रशिक्षण शिविर उन विद्यार्थियों और कला-प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी माना जा रहा है, जो शास्त्रीय नृत्य कथक की बारीकियों को गहराई से सीखना चाहते हैं और मंच पर एक सशक्त कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।
इस प्रतिष्ठित कथक विंटर कैंप का नेतृत्व भागलपुर के प्रसिद्ध कथक गुरु निभाष मोदी करेंगे, जो पिछले कई वर्षों से बिहार में कथक कला के संरक्षण, प्रचार और प्रशिक्षण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में राज्य के दर्जनों युवक-युवतियों को कथक नृत्य का व्यवस्थित, तकनीकी और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होगा।आयोजक संस्था बिहार कला केंद्र ने जानकारी दी है कि यह विंटर कैंप पटना के अमर सर आर्ट म्यूजिक एंड डांस स्कूल, हाउसिंग कॉलोनी, कंकड़बाग (पटना-20) में आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण प्रतिदिन दो सत्रों में संचालित होगा। पहला सत्र सुबह 10:30 बजे से 12:30 बजे तक तथा दूसरा सत्र दोपहर 1:30 बजे से 3:30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। समय-सारणी इस प्रकार बनाई गई है, जिससे प्रतिभागी बिना किसी दबाव के पूरे मनोयोग के साथ प्रशिक्षण ले सकें।इस कथक विंटर कैंप की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें प्रथम वर्ष से लेकर छठे वर्ष तक के संपूर्ण कथक पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है। शिविर में प्रतिभागियों को केवल नृत्य का अभ्यास ही नहीं कराया जाएगा, बल्कि कथक की सैद्धांतिक जानकारी भी विस्तार से दी जाएगी। इसमें कथक का इतिहास, विभिन्न घरानों की शैली, ताल और लय की समझ, पखावज-बोल, हस्त-मुद्राएं, आमद, तोड़े, टुकड़े, परन और भाव-प्रदर्शन जैसे महत्वपूर्ण तत्वों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को परीक्षा-उन्मुख तैयारी के साथ-साथ मंचीय प्रस्तुति के लिए भी पूरी तरह तैयार करना है। इससे प्रतिभागियों में तकनीकी दक्षता के साथ आत्मविश्वास का भी विकास होगा, जो किसी भी कलाकार के लिए आवश्यक है।कथक गुरु निभाष मोदी ने बताया कि बिहार में शास्त्रीय नृत्य कथक को लेकर बच्चों और युवाओं में लगातार रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण शिविर नई प्रतिभाओं को सही दिशा देने के साथ-साथ राज्य की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने का कार्य करते हैं। उनका मानना है कि कथक केवल नृत्य नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अनुशासन और सौंदर्यबोध का जीवंत माध्यम है। इस कैंप के माध्यम से वे कथक की मूल तकनीकों को सरल, वैज्ञानिक और आकर्षक ढंग से विद्यार्थियों तक पहुंचाना चाहते हैं।बिहार कला केंद्र की ओर से बताया गया कि पिछले वर्षों की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में प्रतिभागियों के शामिल होने की संभावना है। यह विंटर कैंप बच्चों, किशोरों, युवाओं और वयस्कों—सभी आयु वर्ग के लिए उपयोगी रहेगा। चाहे कोई प्रारंभिक स्तर का छात्र हो या कथक की उच्च कक्षाओं की तैयारी कर रहा हो, यह शिविर सभी के लिए सीखने और निखरने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगा।आयोजक मंडल ने विश्वास जताया है कि यह पांच दिवसीय कथक विंटर कैंप न केवल पटना, बल्कि पूरे बिहार के कथक प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव साबित होगा। साथ ही, यह कार्यक्रम राज्य में शास्त्रीय नृत्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और उभरती प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।




