बाढ़- गंगा नदी का बढा जलस्तर तो दियारा के किसानो ने बना लिया जुगाड़ू नाव!

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:- रवि शंकर अमित/गोविंद कुमार

स्टील के करकट से बना जुगाड की नाव, जान जोखिम में डाल जी रहे दियारावासी

गंगा नदी का बढा जलस्तर तो दियारा के किसानो ने बना लिया जुगाड़ू नाव

एंकर -बाढ़ अनुमंडल के दियारा क्षेत्र में जब सरकार ने किसानों की समस्याएं नहीं सुनी, तो उन्होंने खुद एक जुगाड़ू नाव बना लिया। अब दियारा के हर घर में यह जुगाड़ू नाव बरसात में उनके जीने का एकमात्र सहारा है। लगातार बारिश से गंगा नदी उफान पर है। अब गंगा नदी के किनारे बसे गांव सैलाब की चपेट में आने लगे हैं। जलस्तर मे वृद्धि से दियारा और सैंकडो एकड फसल भी पानी में डूब गई है। ऐसे में अपनी फसल को बचाने के लिए पटना जिले के बाढ़ में रैली गांव के किसानों ने जुगाड़ की नाव बना डाली। यह जुगाड़ू नाव स्टील की करकट यानी झोपड़ी की छत बनानेवाली स्टील के चादर और लकड़ी की सहायता से बनी है। स्थानीय किसानों ने सरकार के हाथ खड़े करने पर खुद जुगाड़ की नाव बना डाली है । इस जुगाड़ वाली नाव की सहायता से किसान गंगा नदी के पार जाकर फसल काटकर अपने मवेशियों को किसी तरह जिंदा रखे हैं।
रैली गांव में गंगा किनारे बसे लोग फिलहाल इस तरह की नाव से किसी तरह अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं। गंगा नदी में डूबती फसल को बचाकर दूसरे किनारे तक ले जा रहे हैं । जुगाड़ू नाव को बनाने वाले किसान बताते हैं कि बाढ़ एनटीपीसी में काम करने वाले एक व्यक्ति ने उन लोगों को स्टील से बने करकट यानी स्टील की चादर से डेंगी नाव बनाने का विचार दिया था। तब इन गरीब किसानों को स्टील की चादर से नाव बनाने का हुनर मिला । स्टील की चादर को एक तरफ से मोड कर लकड़ी का एक पाया खड़ा किया जाता है, जिसमें लकड़ी में चादर को कांटी ठोक कर नाव की शक्ल दी जाती है । बाद में एमसील की सहायता से लकड़ी और चादर के बीच बने गैप को भर दिया जाता है, जिससे पानी नाव के अंदर नहीं घुसे। नाव के दूसरे हिस्से को थोड़ा चौड़ा बनाया जाता है, ताकि नाव निर्वाध रूप से गंगा नदी में तैरती रहे ।
जुगाड़ू नाव में चार बच्चे आसानी से जा सकते हैं। वहीं तेज हवा होने पर केवल एक व्यक्ति इस नाव में आर पार कर सकता है। यह जुगाड़ू नाव ग्रामीणों के लिए वरदान है, जो बाढ़ की विभीषिका में भी जिंदा रहने का हौसला देती है।
बाइट — दियारा के ग्रामीण

बाईट शंभू कुमार, मुखिया प्रतिनिधि, रैली

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