भागलपुर में मुहर्रम अखाड़ा जुलूस के दौरान हिंसक झड़प, कई घायल!

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रिपोर्ट- निभाष मोदी

भागलपुर: मुहर्रम के अवसर पर सोमवार को आयोजित पारंपरिक अखाड़ा जुलूस के दौरान शहर में हिंसक झड़प हो गई, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। यह घटना शाहजंगी मेला मैदान के पास उस समय हुई जब जुलूस के दौरान ‘पहलाम’ निकालने की प्रक्रिया प्रारंभ हो रही थी। खंजरपुर, हुसैनाबाद, मीरगयासचक और नाथनगर के युवाओं के बीच जुलूस में आगे-पीछे चलने को लेकर विवाद शुरू हुआ जो कुछ ही पलों में हिंसा में बदल गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पहले बहस हुई, फिर देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई और उसके बाद दोनों पक्षों ने लाठियां चलानी शुरू कर दी। इस झड़प में कई लोग घायल हो गए, जिनमें से कुछ की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सबसे गंभीर स्थिति तब उत्पन्न हुई जब बेकाबू भीड़ ने खंजरपुर अखाड़ा को चारों ओर से घेर लिया और ताजिया पर हमला कर दिया। इस हमले से धार्मिक भावना को गहरी ठेस पहुंची और इलाके में तनाव फैल गया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद झगड़ा बढ़ता गया और समय रहते स्थिति को नहीं संभाला गया, जिससे कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

झगड़े के बाद भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंचा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। कई जगहों पर दौड़-भाग और भगदड़ की स्थिति बन गई। प्रशासन द्वारा पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि दोबारा किसी प्रकार की हिंसा न हो।

इस पूरे घटनाक्रम पर सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के अध्यक्ष महबूब आलम ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मुहर्रम का पर्व शांति, भाईचारे और कुर्बानी का प्रतीक है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने इसकी पवित्रता को भंग करने का प्रयास किया है। उन्होंने प्रशासन से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

फिलहाल पुलिस ने दोनों पक्षों से कुछ लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। जिला प्रशासन ने पूरे शहर में सतर्कता बढ़ा दी है और संवेदनशील क्षेत्रों में फ्लैग मार्च कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है।

भागलपुर में हुई इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि धार्मिक आयोजनों के दौरान आपसी तालमेल और प्रशासनिक सतर्कता कितनी महत्वपूर्ण है। यदि समय रहते विवाद को नहीं रोका गया होता तो स्थिति और भयावह हो सकती थी। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और आयोजक मिलकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को कैसे रोकते हैं।

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