रिपोर्ट- संतोष तिवारी!
बिहार/मुजफ्फरपुर
भारतीय संविधान की शपथ लेने के बाद भी उसकी आत्मा को कुचलते हुए इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं। इसके लिए उन्होंने तानाशाही रवैया अपनाया। इस क्रम में कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित होने के बावजूद इस्तीफा देने के बजाय आपातकाल थोप दिया था। वह समय आजादी के बाद का ऐसा काला अध्याय है, जिसने लोकतंत्र में अंग्रेजों द्वारा दी जानेवाली यातनाओं एवं प्रतिबंधों की याद दिला दी थी।
ये बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सांसद अनुराग ठाकुर ने कहीं। वे आपातकाल की 50वीं बरसी पर भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने यह निर्णय अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था। इससे कांग्रेस ने अपने उस चरित्र को उजागर किया, जिसमें वह संकट में होने पर संविधान और देश की आत्मा तक को ताक पर रखने से बाज नहीं आते। संगोष्ठी को पश्चिमी जिलाध्यक्ष हरिमोहन चौधरी, पूर्वी जिलाध्यक्ष विवेक कुमार, सूबे के पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह, पंचायती राज मंत्री केदार गुप्ता, पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा, पूर्व विधायक बेबी कुमारी, प्रदेश महामंत्री राजेश वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष अमृता सिंह राठौर ने भी आपातकाल पर विचार रखे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सांसद का किया स्वागतः मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री सहं सांसद अनुराग ठाकुर को निवर्तमान जिलाध्यक्ष रंजन कुमार ने अंगवस्त्र व बुके देकर सम्मानित किया। मौके पर भाजपा नेता धर्मेंद्र साहू, सचिन कुमार आदि थे।