रिपोर्ट- आशुतोष पांडेय
भोजपुर जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में संत कवि कबीर दास की जयंती मनाई गई ।कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो.बलिराज ठाकुर ने की ।मुख्य अतिथि जयप्रकाश विश्वविद्यालय,छपरा के पूर्व कुलपति डॉ.दुर्ग विजय सिंह थे।अपने संबोधन में डॉ.दुर्ग विजय सिंह ने कहा कि कबीर दास समाज को मनुष्य के चरित्र के आधार पर परखते और तब उसके बारे मे राय बनाते हैं ।कबीर सिर्फ दलितों के लिए नहीं आज सबके लिए प्रासंगिक हैं ।अध्यक्षीय संबोधन में प्रो.बलिराज ठाकुर ने कहा कि कबीर सामाजिक क्रांति के बड़े कवि हैं ।उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और उनके दोहे और पद हमें जीवन के सत्य और प्रेम का मार्ग दिखाते है ।कबीर की रचनाएँ हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और आज भी लोकप्रिय हैं ।भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो.दिवाकर पांडेय ने कहा कि वे श्रमजीवी संत थे ।उन्होंने ने न घर का त्याग किया और न अपना पेशा छोड़ा ।कवि समीक्षक जितेंद्र कुमार ने कहा कि कबीर ने जाति -पॉति के भेद भाव को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया ।उनके भक्ति मार्ग में समाज के आख़िरी आदमी को सबसे पहले जगह मिली है ।विषय प्रवर्तन करते हुए सम्मेलन के प्रधानमंत्री डॉ.नंदजी दूबे ने कहा कि कबीर ने अनवरत जागरण की बात कही।डॉ.कमल कुमारी और डॉ.जनार्दन मिश्र ने विस्तार से कबीर साहित्य पर प्रकाश डाला ।संचालन राकेश तिवारी और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.जनार्दन मिश्र ने किया ।लक्ष्मी नारायण राय,शिवदास सिंह,वशिष्ठ मुनि चौधरी,मधु मिश्र,डॉ.ममता मिश्र,डॉ.रेणु मिश्र,पूनम सिंह,जीतेन्द्र सिंह,ब्रह्मेश्वर दसौंधी आदि लोग उपस्थित रहे ।