रिपोर्टर — राजीव कुमार झा
शांति एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में जिले भर में ईद उल अजहा की नमाज अदा की गई, लोगों ने एक दूसरे को दी बधाई
मधुबनी शहर मुख्यालय समेत जिले भर के तमाम ईदगाहो में शांतिपूर्ण माहौल में (बकरईद) ईद उल अजहा की नमाज अदा की गई और हजरत इब्राहिम अलैयहिस्सलाम की सुन्नतों को अदा करते हुए लोगों ने अपने जानवरों की कुर्बानी दी
त्यौहार को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सभी ईदगाहों और चौक चौराहा पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी और जिला हेडक्वार्टर में कंट्रोल रूम भी बनाया गया था।
रहिका प्रखंड के नाजिरपुर मस्जिद में महिलाओं ने ईद उल अजहा की नमाज अदा की तो वही ईदगाहों में मर्दों ने नमाज अदा किया।
वही नाजिरपुर मस्जिद की इमाम मौलाना अजीजुर रब , मौलाना इरफान इस्लामी और मोहम्मद साबिर, मोलाना सद्दीक हुसैन और मोहम्मद मुमताज ने जानकारी देते हुए कहा कि
बकरईद, जिसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है जो आज देशभर में मनाया जा रहा है। यह त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के 12 वें और अंतिम महीने
ज़ुअल-हज्जा की 10 वीं तारीख को मनाया जाता है। इस दिन, मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने के बाद बकरे या अन्य जानवरों की कुर्बानी देते हैं।
बकरीद की खासियतें:
- त्याग और बलिदान: बकरीद का पर्व हजरत इब्राहीम की सुन्नत की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने अल्लाह की राह में अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने की पेशकश की थी। अल्लाह ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए ऐसा करने को कहा था, लेकिन आखिरी क्षण में एक डुम्बा (बकरी की एक प्रजाति) कुर्बान हो गया।
- कुर्बानी का महत्व: इस दिन कुर्बानी देने का उद्देश्य अल्लाह के प्रति अपनी भक्ति और आज्ञाकारिता दिखाना है। कुर्बानी के बाद, जानवर के मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है – एक हिस्सा स्वयं के लिए, दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए, और तीसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए।
नमाज और दुआ: बकरीद के दिन नमाज अदा करने के बाद, लोग अल्लाह से दुआ मांगते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं।
इस त्योहार के दौरान, सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए जाते हैं और प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए काम करता है।