महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह उद्यान के जीर्णोद्धार का काम शुरू!

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रिपोर्टर — राजीव कुमार झा

कोलकाता से मधुबनी के राजनगर मिथिला की धरोहर बचाने का प्रयास

कोलकाता के महत्वपूर्ण डलहौजी स्क्वायर अंचल में स्थित महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह की प्रतिमा और संलग्न उद्यान के जीर्णोद्धार का काम शुरू हो रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार ने मिथिला विकास परिषद की अपील पर इसके रख-रखाव और सौंदर्यीकरण को लेकर नई पहल की थी। अब तक इस हेरिटेज प्रापर्टी के रख-रखाव का जिम्मा एचएसबीसी बैंक के पास था।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर आज पश्चिम बंगाल सरकार के लोकनिर्माण विभाग के सहायक इंजीनियर अरूप विश्वास ने उद्यान का परिदर्शन किया और नियुक्त ठेकेदार कंपनी मेसर्स आईएसएसआर इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि श्यामल राजवंशी को आवश्यक निर्देश दिए। इंजीनियर संजीव दास के निरीक्षण में जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण का काम होगा।

गौरतलब है कि साल 1878 से 1898 तक दरभंगा के राजा रहे महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह गुलाम भारत के सर्वाधिक प्रगतिशील सोच के व्यक्ति थे। भारत के पहले निर्वाचित जनप्रतिनिधि महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह ने भूमि सुधार कानून की रूपरेखा तय करने, बहु-विवाह पर लगाम लगाने, गौ रक्षा के लिए अपने अनुदान से ट्रस्ट बनाने के साथ-साथ पुलिस सुधार, इल्बर्ट बिल जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण विचार दिए। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में उनकी भूमिका रही और जब वे कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में शामिल होने आए तो अपना राजकीय श्रृंगार उतारकर सामान्य जनता के रूप में जमीन पर बैठकर अधिवेशन में भाग लिया। उन्हें रॉयल कॉमोनर की संज्ञा दी गई थी।

मिथिला विकास परिषद के अध्यक्ष अशोक झा ने इस मौके पर कहा कि पश्चिम बंगाल के शिक्षा, चिकित्सा, सड़क परिवहन सहित लोककल्याण के कार्यों को बढ़ावा देने में राज दरभंगा की बहुत बड़ी भूमिका थी। कलकत्ता विश्वविद्यालय, महिलाओं के लिए प्रथम महाकाली पाठशाला सहित अनेकों शिक्षण संस्थान राज दरभंगा की बदौलत बने। आजाद भारत में राज दरभंगा के अवदान को विस्मृत करने की कुचेष्टा की गई है लेकिन अब मिथिला विकास परिषद इस दिशा में सार्थक प्रयास करके नये सिरे से विचार-विमर्श को स्थापित करने के प्रति गंभीर है।

पत्रकार पवन कुमार झा ने कहा कि पश्चिम बंगाल और मिथिला में राजनीतिक आदर्श का अभाव है। आजादी से पहले और बाद में भी ऐसा कोई सर्वमान्य राजनीतिक नेता नहीं उभरा जिसकी दृष्टि दूरदर्शी हो। धार्मिक, जातीय, संप्रदायिक खंडों में बंटे नेताओं ने दोनों क्षेत्रों का अहित ही किया है। इसीलिए महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह एक महानायक के रूप में आदर्श बनने के योग्य हैं। क्योंकि डलहौजी स्क्वायर में उनकी प्रतिमा कोलकाता की जनता ने चंदा करके स्थापित किया था। वैसे ममता दीदी से लेकर मोदी जी तक का ध्यान इस तरफ है। ऐसे में कोलकाता से लेकर दरभंगा और मधुबनी के राजनगर तक महराज दरभंगा के धरोहरों को संवारने का कार्य किया जाएगा।

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