भिखारी ठाकुर के रचनन में सामाजिक चेतना प्रेमचंद जइसन : प्रो नीरज सिंह!

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रिपोर्ट- आशुतोष पांडेय

भोजपुरी विभाग में भिखारी ठाकुर जयंती पर व्याख्यान

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग स्थित आचार्य दुर्गा शंकर प्रसाद सिंह नाथ सभागार में भिखारी ठाकुर जयंती पर “भिखारी ठाकुर के नाटकन के सामाजिक पक्ष” विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। व्याख्यान के मुख्य वक्ता चर्चित साहित्यकार और हिंदी भोजपुरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो डॉ नीरज सिंह थे। समारोह की शुरुआत आगंतुक अतिथियों द्वारा पारंपरिक ढंग से दिया जलाने और भिखारी ठाकुर के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुई। इसके बाद कमलेश व्यास ने भिखारी ठाकुर के दो गीतों को गाकर सुनाया। व्याख्यान में डॉ नीरज सिंह ने भिखारी ठाकुर रचित हर नाटक के सामाजिक पक्षों और उसमें निहित संदेशों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने रेखांकित करते हुए यह बात कही कि भिखारी ठाकुर के नाटकों में ठीक वैसी ही समाजिक चेतना उपस्थित है जो प्रेमचंद की हिंदी रचनाओं में। इस आधार पर भिखारी ठाकुर भोजपुरी साहित्य के प्रतिनिधि साहित्यकार बनकर उभरते हैं और साथ ही सही मायनों में वे एक ग्लोबल भोजपुरिया हैं। भिखारी ठाकुर के नाट्य दृश्यकाव्य हैं और वे इस वजह से नाटकों में समाजिक संदेशों को दर्शकों तक आसानी से पहुंचा पाते हैं। प्रो नीरज सिंह ने कहा कि भिखारी ठाकुर आज भी भोजपुरिया आंदोलन के अगुआ बने हुए हैं। सभागार में अन्य गणमान्य अतिथियों में सीनेटर प्रो बलिराज ठाकुर, पूर्व अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, वरिष्ठ आलोचक जितेंद्र कुमार, मीडिया विशेषज्ञ और भोजपुरिया फाउंडेशन के डॉ अजय ओझा, साहित्यकार कृष्ण कुमार, रामयश अविकल, भोजपुरिया जनमोर्चा के भरत सिंह सहयोगी, कुमार शीलभद्र और वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सिंह उपस्थित थे। विषय प्रवेश और स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय, संचालन रवि प्रकाश सूरज तथा धन्यवाद ज्ञापन सोहित सिन्हा ने किया। उपस्थित छात्रों ढुनमुन सिंह, योगेश, विशाल, रौशन, दीपक, रोहित आदि की ओर से अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह में कर्मचारियों मनोज, रंजीत और नीलम देवी का सराहनीय योगदान रहा।

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