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हत्यारोपी साधु के गिरफ्तारी से ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

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शकील की रिपोर्ट


बगहा पुलिस जिला के चौतरवा पुलिस ने हत्यारा साधु मोतीलाल यादव को गिरफ्तार कर लिया है। साधु को शुक्रवार के मध्य रात्रि में गिरफ्तार किया गया। जिसे पुलिस जेल भेजने की तैयारी कर रही है। बगहा एसडीपीओ कैलाश प्रसाद ने बताया कि 23 सितंबर को दियारा क्षेत्र के मठिया रेता मे गन्ना की खेत में एक 40 वर्षीय महिला तारा देवी की निर्मम हत्या साधु मोतीलाल यादव ने किया था।  कथित साधु मोतीलाल यादव ने धारदार हथियार से महिला का गला काट कर दो टुकड़ा कर दिया था । हत्या के बाद परिवार वाले और गांव वाले साधु के भय से भयभीत थे।  ग्रामीण ग्राम रक्षा दल बनाकर साधु से सुरक्षा कर रहे थे । यहां तक की परिवार का कोई भी सदस्य खेतों में जाने के पहले अपने साथ धारदार हथियार लेकर जाया करता था। साधु के इस गिरफ्तारी से क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है । गिरफ्तार साधु मोतीलाल यादव ने बताया कि अब पछतावा हो रहा है। अपने करने पर पछता रहा हूं।साधु जो भी काम करता था प्लानिंग के साथ किया करता था। साधु गिरफ्तार नहीं आए इसके लिए अपना हुलिया बिल्कुल बदल लिया था। अपने बाल और दाढ़ी को कटवा दिया है। साधु टीका भी नहीं कर रहा था। हत्या के बाद अपने पहचान को बिल्कुल बदल लिया था। वहीं चौतरवा थानाध्यक्ष शंभूशरण गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार की रात्रि में छापेमारी चल रही थी। उसी दौरान गन्ने के खेत से एक भागते हुए व्यक्ति को पुलिस वालों ने देखा। जिसे शक के आधार पर धर दबोचा गया। उन्होंने बताया कि साधु को पकड़े जाने के बाद पूछताछ किया गया जिसमें साधु ने अपना नाम रतवाल निवासी नारायण दास बताया। लेकिन शक के आधार पर साधु को थाने लाया गया जहां पर उसकी पहचान मोतीलाल यादव के रूप में हुई। मठिया रेता में छठिया घाट के समीप साधु ने महिला की हत्या की थी। उसी के पास तो कदम की दूरी पर साधु पुलिस के हत्थे चढ़ गया। हालांकि पकड़े जाने के बाद साधु कई तरह के बहाने बना रहा था।साधु के गिरफ्तार होने के बाद पति ने कहा कि अब मेरे पत्नी को शांति मिलेगी। घटना के बाद आज चैन से सो पाऊंगा। उसने बताया कि अब बच्चों को भी घर बुला लूंगा।साधु की गिरफ्तारी का खबर जैसे ही गांव में पहुंची आसपास के गांव के लोग थाने में पहुंचकर साधु को देखने लगे। सभी लोग तिरस्कार भरे शब्दों का प्रयोग साधु के लिए कर रहे थे। ग्रामीणों ने बताया कि साधु के डर से महिलाएं खेतों की तरफ नहीं जाती थी।

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