शहर के सबसे प्राचीनतम दुर्गास्थान मे मां के खुले नेत्र, साढ़े तीन सौ वर्षों से होती है पूजा!

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रिपोर्ट- संतोष तिवारी!

मुज़फ़्फ़रपुर

शहर के सबसे प्राचीनतम दुर्गास्थान मे मां के खुले नेत्र

साढे तीन सौ वर्ष से बैठती है मां की प्रतिमा

आज भी पौराणिक पांडुलिपि पद्धति से होती है पूजा

बाह्रमणटोली महामाया बाबू लेन दुर्गास्थान मे मां दुर्गा के नेत्र(पट) खुल गयी।मां दुर्गा का बिल्वामंत्रण,आवाहन,बोधन, आमंत्रण एवं अधिवास के साथ पूजन वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आचार्य डाॅ चंदन उपाध्याय ने कराया वही पूजन के बाद माता को भोग लगाकर महाआरती की गयी।पूजन कर्म के दौरान भगवती को वर्षा का जल,विभिन्न तीर्थो का जल,समुद्र का जल,ओस के जल के साथ साथ 44 प्रकार के मिट्टी से स्नान कराया गया।

पूजन आचार्य डाॅ चंदन उपाध्याय ने बताया कि मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम शारदीय दुर्गापूजा बाह्रमणटोली दुर्गास्थान स्थित पंडित महामाया प्रसाद मिश्र के निवास स्थान पर विगत साढे तीन सौ वर्ष पूर्व से लगातार पूजा होती आ रही है।सदियों से मां की प्रतिमा एक जैसी ही रहती है मां दुर्गा माता लक्ष्मी,माता सरस्वती,भगवान कार्तिकेय, भगवान गणेश ,माथे पर भगवान शिव के साथ साथ महिषासुर के साथ रहती है।

यहां आज भी हस्तलिखित पूजा पद्धति पांडुलिपि मे उपलब्ध है। पूजा यजमान प्रमोद कुमार ओझा,हर्ष,अंशुमन, गुंजन उपाध्याय ने पूजा संपन्न किया।पूजा के दौरान भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रभात मालाकार, पंडित ध्रुव दूबे,प्रेमशंकर मिश्र, अमीत कुमार, अर्थ,समर्थ,हेमंत कुमार, अनंत आदि मौजूद रहें।

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