रचना – अनमोल कुमार
यात्रा वृतांत
बीज की यात्रा वृक्ष तक है,
नदी की यात्रा सागर तक है और
मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक..
संसार में जो कुछ भी हो रहा है
वह सब ईश्वरीय विधान है
हम और आप तो केवल
निमित्त मात्र हैं इसीलिये
कभी भी ये भ्रम न पालें कि
मै न होता तो क्या होता?
चरण उनके पूजे जाते है
जिनके आचरण पूजने योग्य हो
अगर इन्सान की पहचान करनी हो
तो सूरत से नही, चरित्र से करो
क्योकि सोना अक्सर
लोहे की तिजोरी में ही रखा जाता है