मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर की ‘पुस्तकालय बचाओ – पुस्तकालय बनाओ आन्दोलन’ की शुरुआत!

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निभाष मोदी, भागलपुर

भाकपा-माले ने राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस मनाकर डॉ. एस. आर. रंगनाथन को दी श्रद्धांजलि!

लाइब्रेरी साइंस के जनक माने जाने वाले पद्मश्री डॉ. शियाली रामअमृता रंगनाथन के जन्मदिन : 12 अगस्त को भाकपा-माले ने ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस’ के रुप में मनाया। भागलपुर सहित पूरे बिहार में इस अवसर पर ‘पुस्तक-पुस्तकालय बचाना है – शिक्षित बिहार बनाना है’ के आह्वान के साथ “पुस्तक बचाओ – पुस्तकालय बचाओ आंदोलन” की शुरुआत की गयी। भागलपुर में नगर प्रभारी सह जिला कमिटी सदस्य मुकेश मुक्त के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला पदाधिकारी, भागलपुर के कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री, बिहार को मांगों से सम्बंधित ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में नगर प्रभारी सह जिला कमिटी सदस्य मुकेश मुक्त, नगर सचिव सुरेश प्रसाद साह, जिला कमिटी सदस्य विष्णु कुमार मंडल, नगर कमिटी सदस्य मनोज कृष्ण सहाय व अमर कुमार शामिल रहे। जिला पदाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपे गए मांग-पत्र सह ज्ञापन में – *1.* बंद पड़े और जर्जर तमाम पुस्तकालयों को पुनर्जीवित करने, *2.* शिक्षा बजट का 5 प्रतिशत पुस्तकालय बजट के रूप में खर्च करने, *3.* पंचायत भवनों में पुस्तकालय के लिए दो बड़े कमरों को आवंटित कर, उसमें हर विषय की किताबें, वाई-फाई, कम्प्यूटर, टेलिविजन, इंटरनेट, सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की पत्रिकाएं, सभी अखबार, बिजली, कुर्सी टेबुल, और 16 घंटे शांतिपूर्ण माहौल में छात्र-युवाओं के लिए पढ़ने की व्यवस्था और *4.* लाइब्रेरियन व परिचारी के वर्षो से खाली पड़े व नये सृजित पदों पर शीघ्र बहाली व पुस्तकालयों में काम करनेवाले कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने की मांग की है। इसके पहले लाइब्रेरी साइंस के जनक पद्मश्री डॉ. शियाली रामअमृता रंगनाथन के 130वें जयंती पर उनकी तस्वीर पर मालार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी और *सार्वजनिक पुस्तकालयों की जर्जर स्थिति* पर विचार गोष्ठी की। गोष्ठी में डॉ. एस. आर. रंगनाथन के योगदान की चर्चा करते हुए नगर प्रभारी सह ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने कहा कि आज जबकि हमारी प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक की सरकारी शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से जर्जर व ध्वस्त हो चुकी है, एक बार फिर से पुस्तकालय आंदोलन चलाने की जरूरत आन पड़ी है। गरीब घरों के छात्र-युवाओं का पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। संसाधनों व जगह के अभाव में उनकी पढ़ाई पूरी तरह बाधित है। अतः पुस्तकालय संस्कृति को हर स्तर पर बढ़ावा देकर हम इस कमी को काफी हद तक दूर करने की दिशा मेें आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सत्तर के दशक में बिहार में 540 सार्वजनिक पुस्तकालय, 4000 से ज्यादा ग्रामीण एवं शिक्षण संस्थानों में अनगिनत पुस्तकालय थे, जो राज्य व केन्द्र सरकारों की घोर उपेक्षा के कारण या तो समाप्त हो गये हैं या फिर समाप्ति के कगार पर हैं। बिहार में अब मात्र 51 सार्वजनिक व 1000 ग्रामीण पुस्तकालय बच रहे हैं जहां बुनियादी संसाधनों, किताबों, लाइब्रेरियन, परिचारी का घोर अभाव है। यहां तक कि पुस्तकालयों के पास अखबार खरीदने का भी पैसा नहीं है। वे जर्जर स्थिति में हैं। 2013 के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के पुस्तकालयों को कोई सरकारी अनुदान नहीं मिला और न हीं लाइब्रेरियन की कोई बहाली हुई। सम्बंधित मांगों के साथ पुस्तकालय संस्कृति को पुनर्जीवित करने और शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी के लिए छात्रों-युवाओं को विशेष पहलकदमी लेनी चाहिए। गोष्टी की अध्यक्षता भाकपा-माले के नगर सचिव सुरेश प्रसाद साह ने की। नगर प्रभारी सह ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त सहित जिला कमिटी सदस्य विष्णु कुमार मंडल, नगर कमिटी सदस्य मनोज कृष्ण सहाय, अमर कुमार, प्रवीण कुमार पंकज, सुभाष कुमार, अमित गुप्ता, प्रवीण कुमार, दीपक कुमार व राजेश कुमार ने भी गोष्टी में अपने विचार व्यक्त किए।

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