झोपड़ी के लिए चाचा और भतीजा में विरासत की जंग!

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कार्यकारी संपादक पंकज कुमार ठाकुर!

अब कहां जाएंगे चिराग!

क्या पार्टी झगड़े में बट जाएगा लोजपा!

लोक जनशक्ति पार्टी का झगड़ा अब जगजाहिर हो चुका है। तो क्या चाचा चाणक्य के जाल में फंस गए भतीजा चिराग पासवान शायद चिराग को इल्म भी ना था कि आने वाली सुबह इतनी भयावह और भयानक होगी सोचिए जरा अचानक क्या ऐसा हो गया जो चाचा और भतीजा पार्टी के उत्तराधिकारी को लेकर भीड़ गए लेकिन क्या इस राजनीति के पीछे का चाणक्य कोई और तो नहीं हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कि दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग ने एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ा था जिसका सीधा असर जदयू पर पड़ा और वह तीन नंबर की पार्टी बन गई ।तो क्या डायरेक्ट नीतीश को जो चिराग ने चुनौती दी थी उसका यह असर है। हालांकि यह यूं ही नहीं कहा जा रहा है। दरअसल लोक जनशक्ति पार्टी के मात्र एक विधायक को पहले ही तोड़ कर जदयू की सदस्यता दिला दी! या झोपड़ी की विरासत के लिए चाचा भतीजे में जंग या कुछ और सांसदों का समर्थन अचानक संसदीय दल का नेता घोषित चिराग के लिए दरवाजे बंद। खाना की इसके बाद चिराग ने खुद अपने चाचा को प्रस्ताव भेजा है कि उन्हें अध्यक्ष पद पर काबिज रहने दिया जाए। तो क्या चाचा पशुपतिनाथ पारस मानेंगे यह अब देखना लाजमी होगा या पार्टी टूट की कगार पर इंतजार करना होगा अभी।

कैसे फायदा होगा सीधा जदयू को

चाचा और भतीजे की इस लड़ाई में नुकसान भले ही किसी का हो लेकिन जदयू के लिए यह खरा सौदा नजर आ रहा है। जेडीयू एनडीए के साथी हैं लेकिन केंद्र सरकार में जेडीयू की नुमाइंदगी ना के बराबर है। ऐसे में नीतीश केंद्र में अपनी नुमाइंदगी बनाना चाहते हैं और उनके 16 सांसद हैं। केंद्र के विश्वस्त सूत्रों की माने तो जदयू की नजर आप पांच मंत्री पद पर आकर अटक गई है। अब सवाल यह उठता है कि अगर केंद्र में जदयू की एंट्री होती है तो इसका सीधा असर बिहार पर दिखेगा और राजनीतिक पंडित दावा कर रहे हैं कि यह सारा प्रकरण उसी खेला होबे गए लेकर रचा गया है।

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