न्यूज डेस्क उत्तर प्रदेश शंखनाद

बलिया। जनवरी 2021 से मई तक कालाजार के आठ नए रोगी मिले हैं, जिसमें दो महिला हैं। कोटवा ब्लॉक से दो, मनियर ब्लॉक से दो, तथा दुबहर, बांसडीह, रेवती एवं मुरली छपरा ब्लॉक से एक-एक कालाजार रोगी शामिल है। इसकी जानकारी कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. नीलोत्पल कुमार ने दी। बताया कि यह जनपद कालाजार प्रभावित प्रदेश के जनपदों में से एक है। इससे बचाव को लेकर सभी प्रभावित 12 ब्लॉकों के ग्रामों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रथम चक्र का कालाजार (आईआरएस) का काम पूरा है। कालाजार प्रभावित ब्लाकों में हनुमानगंज, मुरलीछपरा, कोटवा, रेवती, दुबहर, सियर, चिलकहर, मनियर, बेलहरी, बेरूआरबारी, बांसडीह व सोहांव है। इसलिए हमें सतर्कता बरतने की जरूरत है।
डॉ नीलोत्पल ने बताया कि कालाजार रोग बालू मक्खी के काटने से होता है। बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रभावित ग्रामों में सिंथेटिक पैराथ्राइड दवा का छिड़काव घरों के अन्दर (आईआरएस) किया जाता है। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं। इसलिए छिड़काव घर के अंदर छह फीट ऊंचाई तक कराया जाता है। कोरोना काल में यदि किसी में कालाजार के लक्षण दिखें तो वह उसे अनदेखा न करें। तत्काल नजदीक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर नि:शुल्क जांच कराकर जिला अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा का लाभ उठाएं। उन्होंने निजी चिकित्सकों से भी अपील की है कि यदि किसी के पास कोई कालाजार का रोगी इलाज कराने पहुंचे तो उस रोगी को जिला अस्पताल भेजें।
ये है लक्षण
कालाजार बालू मक्खी के काटने से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह छह फीट ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। इस बीमारी में दो सप्ताह से लगातार या रुक-रुक कर बुखार आना, वजन कम होना, मरीज का पेट फूल जाना, भूख कम लगना, शरीर काला पड़ जाना आदि इसके लक्षण हैं।