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कोरोना का त्राहिमाम से अबतक मौत दोहरा शतक पार !

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मोतिहारी से अरविंद

फिर स्वास्थ्य बिभाग संसाधनों की कमी का रोना रो रहा है किसी लापरवाही के लिए जाच कमिटी पर बात फेक दी जाती ऊहै तो किसी मामले कोई न कोई कारण बता टाल मटोल दिया जाता है।

इसी करी में मोतिहारी सिविल सर्जन ने करोरों की लागत से एबुलेंस को काबारा और जाच बता पल्ला झारा 

 स्वास्थ्य  मह्कमा यदि ख़ुद बीमार हो जाएँ तो फिर मरीजों का इलाज कैसे होगा ?कुछ इसी तरह का हाल आज कल दिखाई दे रहा है मोतिहारी के स्वास्थ्य महकमा का है।जहां का आपातकाल सेवा ख़ुद आपात अवस्था में पड़ा हुआ है। सदर अस्पताल में पिछले कई बर्षों से मामूली खराबी के कारण दर्जनों एम्बूलेंस को स्वास्थ्य महकमा ने कबाड़ बना दिया है अथवा कई एम्बुलेंस को कबाड़ बनने के लिए छोड़ दिया है।पूर्व में एकबार डीटीओ ऑफिस से इन एम्बुलेंस की जांच कराई गई थी।जिसमें मामूली खराबी को दुरुस्त कर एम्बुलेंस को ठीक कर लेने की बात भी सामने आई थी।लेकिन मामूली खराबी के कारण कबाड़ बन रहे 102 और 108 एम्बुलेंस को ठीक करने से संचालक एजेंसी कतराती रहती है एवं नए एम्बुलेंस की डिमांड कर दी जाती है।

जहां मामूली खर्च पर ठीक होकर सड़कों पर दौड़ सकने में सक्षम एम्बुलेंस की खराबी को दूर कराने मेंजिला स्वास्थ्य समिमिति भी दिलचस्पी नहीं लेता है।जिस कारण दर्जनों एम्बुलेंस सदर अस्पताल परिसर में ऐसे हीं खड़े है।जबकि कोरोना काल में एम्बुलेंस और आईसीयू के अलावा ऑक्सीजन सिलिंडर की डिमांड बढ़ी है।वैसे में मामूली खराबी से ठीक हो जाने वाले एम्बूलेंस को कबाड़ बना रही जिला स्वास्थ्य समिति की कार्यशैली इस सोच से परे है।संसाधनों की कमी का रोना रोने वाले स्वास्थ्य महकमा के अधिकारी अगर इन एम्बुलेंस के मामूली खराबी को दुरुस्त करा लें।तो इस कोरोना संक्रमण के समय संक्रमित मरीजों को राहत मिल जाएगी।उन्हें प्राइवेट एम्बुलेंस का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।

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