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तो क्या इस अभियान के बाद बंद हो जाएगा बिहार में अवैध शराब?

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कार्यकारी संपादक पंकज कुमार ठाकुर

आखिर पुलिस के हाथों कौन सी लग गई जादुई छड़ी?

हम तो बोलेंगे हुजूर!

पिछले दिनों शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मैराथन बैठक की। असर 8 घंटे के बाद से ही पूरे बिहार में दिखने लगा, कई शराब माफिया दबोचे गए तो कई पुलिस वालों को अपनी वर्दी से हाथ धोना पड़ा, आखिर शराब के मामले में बिहार पुलिस को कौन सा ऐसा रातों-रात तिलिस्म मिल गया। या बाबू जानकर अनजान बने हुए थे, जो सीधा रिजल्ट पर आकर रुका, आखिर पुलिसिया रेलगाड़ी लोकल ट्रेन से कैसे राजधानी एक्सप्रेस की सफर पर आ गई। दरअसल यह पूरा वाकिया जनता पचा नहीं पा रही है। और जनता के जेहन में तरह-तरह के सवाल उठना लाजमी है। ‌ आखिर पुलिस तो वही है माफिया भी वही थे तो मुख्यमंत्री के मीटिंग के बाद बिहार पुलिस के हाथों कौन सी जादुई छड़ी लग गई। और ये यूं ही नहीं कहा जा है ।बल्कि आम जनमानस के लबों पर आकर टिक गया है, तथा पूरे सूबे में चर्चा का बाजार गर्म है। अब सवाल यह है कि आज से पहले यही पुलिस थी और यही थाना था। तो दारू आखिर आम जनमानस को सुलभ से मिल जाता था, आज हर एक थाने में दारू जब्ती अखबार की सुर्खियां से लेकर समाचार चैनल की हेडिंग बना हुआ है। आखिर कब तक करेगी तो क्या इस अभियान के बाद बिहार में पूर्णरूपेण शराब बंद हो जाएगा कई ऐसे अनुत्तरित सवाल हैं जो पूछता है सत्तासीन सरकार से शंखनाद और जवाब देना होगा उन बाबुओं को जो बिहार में अपने ओहदे पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं तथा आम लोग बन कर आए थे और उनकी गिनती आज खासम खास में हो रही है।

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