रिपोर्ट-विक्रम उपाध्याय/खगड़िया
- कटाव रोकने का मिला काम, ठेकेदार साइट के पास ही कर रहे थे अवैध खनन
- अधिकारी और ठेकेदार के गठजोड़ से कटावरोधी कार्य में होती है लूट: सांसद
- 7 वर्षों से खगड़िया में जमे हैं जेई, विभाग ने नहीं किया तबादला, प्रोन्नति के बाद भी खगड़िया का जल संसाधन विभाग ही बना रहा ठिकाना
जिले के जल संसाधन विभाग में कटावरोधी कार्य के नाम पर भारी लूट मची हुई है। यही कारण है कि सरकार के करोड़ों खर्च करने के बाद भी आम लोग बेघर होने को मजबूर हैं। कटवरोधी कार्य में सरकार द्वारा तय मानक का उल्लंघन किया जा रहा है। सूखे बालू की जगह गीली मिट्टी से जियो बैग भरकर कटाव वाले स्थान पर डाला जा रहा है। सबसे बड़ा अपराध ठेकेदार द्वारा कटाव वाले स्थान पर ही अवैध खनन कर गीली मिट्टी निकाल कर किया जा रहा था। उक्त बातों का खुलासा सांसद राजेश वर्मा के निरीक्षण में हुआ है। पिछले दिनों सांसद से विभिन्न जगहों से आए ग्रामीणों ने कटाव रोधी कार्य में अनियमितता की शिकायत की थी। जिसके बाद सांसद राजेश वर्मा ने जिले के विभिन्न जगहों निरीक्षण किया था। इस दौरान सांसद के निरीक्षण के समय उनके साथ जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता भी मौजूद थे। निरीक्षण में पाई गई गड़बड़ी को लेकर सांसद ने जल संसाधन विभाग के मंत्री को पत्र लिखकर यहां हो रहे भ्रष्टाचार से अवगत कराया है है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि कटावरोधी कार्य में काफी धांधली और लूट मची हुई है। जिसमें चौथम प्रखंड के रोहियार बंगलिया में कटावरोधी कार्य का निरीक्षण किया गया। वहां संवेदक द्वारा सफेद बालू की जगह गीली मिट्टी से जियो बैग को भर कर कटाव वाले स्थान पर डाला जा रहा था। जबकि सफेद बालू दूसरे स्थान से लाकर जियो बैग में भर कर कार्यस्थल पर देने का प्रावधान है। जियो बैग की जगह सीमेंट की बोरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी जगह पर 150 मीटर से ज्यादा में बल्ला पाइलिंग का कार्य पूर्ण बताया गया था। परंतु स्थलीय जांच में कार्य आधा अधूरा दिखा।
वही बेलदौर प्रखंड के तेलिहार में कोशी नदी से हो रहे कटावरोधी कार्य का भी निरीक्षण किया। वहां भी काफी अनियमितता मिली।
सफेद बालू की जगह अवैध खनन कर गीली मिट्टी का उपयोग सफेद बालू की जगह उसी जगह से अवैध खनन कर गीली मिट्टी का उपयोग में लाया जा रहा था। मापी किये जाने पर पाया गया कि जियो बैग का वजन 110 किलो से 120 किलो तक ही था।
इससे यह प्रतीत होता है कि कटावरोधी कार्य को अधिकारी और एजेंसी का सिंडिकेट मिलकर काली और अवैध कमाई का बड़ा साधन बनाए हुए हैं। क्योंकि इस निरीक्षण में बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता भी साथ चल रहे थे। उन्होंने एजेंसी गलत और मानक के अनुरूप कार्य नहीं किए जाने की बात को सहजता के साथ स्वीकार किया।
सांसद ने जेई के पोस्टिंग पर उठाए सवाल, जांच के लिए लिखा
1- खगड़िया में जेई मणिकांत पटेल (जल संसाधन विभाग 2) खगड़िया में लगभग 7 वर्षों से एक ही जगह जाने हुए हैं। इसकी जांच की जाए कि विभाग ने इनका अब तक तबादला क्यों नहीं किया।
2- खगड़िया में जेई शेखर गुप्ता( वर्तमान एसडीओ – जल संसाधन विभाग – 2) पिछले 7 वर्षों से खगड़िया में जमे हुए हैं। इनको विभाग में एसडीओ के पद पर प्रोन्नति मिली। जिसके बाद विभाग को इनका जिला तबादला करना चाहिए था। लेकिन इनकी प्रतिनियुक्ति फिर से उसी विभाग में उसी जगह एसडीओ के पद पर कर दी गई। विभाग ने किस स्थिति में इनका जिला तबादला नहीं किया।
भुगतान पर रोक लगाते हुए साइट की जांच की उठाई मांग
सांसद ने अपने पत्र में लिखा है कि इन सभी कार्य एजेंसी के द्वारा तय मानक पर कार्य नहीं करने के लिए भुगतान पर रोक लगाया जाए। इसके अलावा राज्यस्तरीय इंजीनियरों की टीम से सभी कार्य की जांच कराए जाने की मांग उठाई है। वहीं उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि जब तक इस प्रकरण की जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक एजेंसी के भुगतान पर रोक लगा कर रखा जाए। अगर एजेंसी पर दोष सिद्ध हो जाता है तो उसका नाम काली सूची में दर्ज कराया जाए और दोषी अधिकारी पर प्रपत्र क गठित करते हुए विभागीय कार्रवाई करवाना सुनिश्चित करना चाहिए। ताकि सरकार की छवि को धूमिल होने से बचाया जा सके।