रिपोर्ट अनमोल कुमार
श्रेष्ठ संस्कारों के आधार पर ही एक अच्छे समाज का निर्माण संभव है : ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी
सुपौल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सिमराही राघोपुर के तत्वाधान में स्थानीय ओम शांति भवन के सभागार में रविवार को आध्यात्म जगत की महान विभूति प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका ‘राजयोगीनी रत्नमोहिनी दादी जी’ (आदिरत्न यज्ञ स्थापना की नींव अंतिम दादी जी) के आकास्मिक निधन पर सिमराही ओम शांति केन्द्र में भव्य श्रद्धांजलि सभा,प्रेरक प्रसंग,पुण्य स्मरण वा ब्रह्मा भोजन आयोजित किया गया।
उक्त कार्यक्रम का शुभारम्भ स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी,समाजसेवी शैलेन्द्र नारायण यादव, धर्म प्रेमी अवध मेहता ,मंजू पंसारी, मनु देवी , सावित्री देवी,प्रभात महासेठ, महेन्द्र यादव, छेदी यादव, संतोष कुमार, शांति देवी ब्रह्माकुमारी बिना वहन, सुमन बहन, निभा बहन,इन्द्रदेव चौधरी, पप्पू सिंह,ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी इत्यादियो ने संगठित रूपमें दादी जी के तस्वीर पर फूलमाला द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित करके और दीप करके शुभारंभ किया।
ब्रह्मकुमारीज संस्थान के सिमराही राघोपुर सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी जी ने कहा कि नारी शक्ति का विश्व का सबसे बड़ा और विशाल संगठन की नींव दादी रतन मोहिनी जी जैसे एक जौहरी को अपने रत्नों से बढ़कर कुछ और प्रिय नहीं होता, और वह उन्हें देखकर अपार आनंद का अनुभव करता है, वैसे ही बेहद के जौहरी — बापदादा — को भी अपने अनुपम रत्न “दादी रतन मोहिनी जी” को देखकर परम सुख की अनुभूति होती थी।
दादी जी ने सदा ज्ञान रत्नों से आत्माओं को सुसज्जित किया और उन्हें दिव्यता एवं सुसंस्कारों से भरपूर बनाया।
टीचर्स ट्रेनिंग की मुख्य संचालिका के रूप में आपने यज्ञ में हजारों ब्रह्माकुमारी कुमारी बहनों को शिक्षिका रूप में तैयार किया । जो आज यज्ञ की अनमोल धरोहर बनकर विश्वभर में सेवाएं दे रही हैं। साथ ही विदेश सेवा की शुरुआत में भी आप निमित्त बनीं, जिससे परमात्म ज्ञान की किरणें सात समंदर पार तक पहुँचीं।जैसे सूर्य की एक किरण धरती पर पड़ते ही अनगिनत जीवों में चेतना और जीवन का संचार करती है, ठीक उसी प्रकार परमात्म ज्ञान सूर्य की एक उज्ज्वल किरण बनी “दादी रतन मोहिनी जी” ने लाखों ब्रह्माकुमारी बहनों में चेतना की ज्योति जगाई और उनके जीवन को दिव्यता से सँवारा।
दादी जी ने सदा परमात्मा के इस बेहद यज्ञ को अपनी अथाह खुशी, सेवा-भावना और उमंग-उत्साह से सींचा।दादीजी वर्षों तक नियमित रूप से स्टूडियो में आकर मुरली रिकॉर्डिंग करती थीं। हर एक से आत्मीयता से हालचाल पूछती थीं ।तब ऐसा लगता था जैसे कोई स्नेहमयी माँ अपने बच्चों को समय निकालकर स्नेह-स्पर्श दे रही हो।ये मधुर यादें हमारे हृदय में सदैव नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करती रहेंगी।
आपके दिव्य जीवन और सेवामयी कर्मों को शत्-शत् नमन।आपके अव्यक्तारोहन पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
मुख्य अतिथि के तौर पर समाजसेबी शैलेन्द्र प्रसाद यादव जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान समय में व्यक्ति निर्माण की कोई फैक्ट्री है तो प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय है । आज समाज में हर कोई अधिकार लेना चाहता है लेकिन कर्तव्य निष्ठा की कमी लगभग हर जगह दिखाई देती है। ब्रह्माकुमारीज की शिक्षाएं मनुष्य को कर्तव्यनिष्ठ और चरित्रवान बनाती हैं ऐसा मेरा व्यक्तिगत अनुभव है। उन्होंने सभी नर और नारी को भी ब्रह्माकुमारी की शिक्षाओं से लाभ लेने को कहा।
उन्होंने सभी को साधुवाद देते हुए कहा की ब्रह्माकुमारीज मुझे अपने परिवार जैसा अनुभव होता है और मेरा सारा परिवार यहां की शिक्षाओं से लाभ लेता रहा है।
डा बीरेंद्र प्रसाद साह जी ने कहा सनातन धर्म वह धर्म है जो संसार में सहिष्णुता का स्त्रोत है। संसार के लगभग हर धर्म को मानने वाले लोग भारत भूमि पर निःसंकोच अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के साथ रहते हैं। यह ईश्वरीय ज्ञान भी इस बात का प्रतीक है, जहां गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती आकर आपस में मिलकर एक हो जाती हैं।
उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी ने किया। सैकड़ो श्रृद्धांजलिओं ने तस्वीर पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दिए।अंत में प्रसाद ग्रहण कर ब्रह्मा भोजन ग्रहण कराया गया ।