:- रवि शंकर अमित!
Hon. Speaker’s Speech Transcript
पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में आज हमारे बीच में पधारे बिहार के महामहिम राज्यपाल महोदय आरिफ मोहम्मद खान जी, जिनका एक लंबा राजनीतिक अनुभव है, विद्वता, ज्ञान और जीवन के अनुभव का लाभ आज हम सबको मिलेगा, मैं पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में उनका हार्दिक अभिनंदन करता हूं। स्वागत करता हूं।
हमारे बीच में डॉ. हरवंश जी, श्री नंद किशोर यादव जी, विजय कुमार सिन्हा जी, अवधेश नारायण सिंह जी, नरेंद्र यादव जी, राम वचन राय जी, और सभी पीठासीन अधिकारीगण, विधायकगण, माननीय मंत्रीगण, मैं सबका अभिनंदन करता हूं, कि ज्ञान आध्यात्म और लोकतंत्र की इस पावन भूमि बिहार में दो दिन, माननीय पीठासीन अधिकारियों की सार्थक भागीदारी रही उनके उत्कृष्ट विचार उनके अनुभव, उनके संस्थाओं के इनोवेशन को हमने साझा किया, ताकि हम अपनी-अपनी विधानसभा को श्रेष्ठ विधानसभा बनाकर जनता की अपेक्षा-आकांक्षाओं को पूरा कर सके।
पिछले दो दिनों में बहुत सार्थक रचनात्मक चर्चा भी हुई और भागीदारी भी रही। यह सम्मेलन पटना की धरती, जो लोकतंत्र की धरती, आध्यात्मिक की धरती है, यह पटना का सम्मेलन निर्णायक होगा। और पटना में लिए गए संकल्प आने वाले समय के अंदर देश के लोकतंत्र को सशक्त करेंगे। संवैधानिक मूल्यों को सशक्त करेंगे, और संविधान के मार्गदर्शन में हम सब हमारी विधाई संस्थाओं को जनता के और भागीदार बनाकर इन संस्थाओं को उत्पादकता और जवाबदेही के साथ देश की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का इन संस्थाओं का अनुभव में मिलेगा।
मुझे खुशी हैं, माननीय सदस्यों ने बड़ी गंभीर चर्चा की, वर्तमान चुनौतियों की चर्चा की, भावी चुनौतियों की चर्चा की, अपनी अपनी विधाई संस्थाओं में नए नवाचार की अनुभव को साझा किया, नए नियम के साथ किस तरीके से हम चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। उसके विचारों को साझा किया अब समय आ गया है कि जिन अपेक्षाओं के साथ हमारे संविधान निर्माताओं ने इन विधाई संस्थाओं का निर्माण किया था, उन विधाई संस्थाओं को हम और बेहतर कैसे बना सकते हैं, यह पीठासीन अधिकारी के रूप में हमारी सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
क्योंकि विधाई संस्थाओं में नीतियां बनती है, कानून बनते हैं, योजनाओं की समीक्षा होती है,जनता की अपेक्षाएं, आकांक्षाएं, कठिनाई, अभाव की चर्चा होती है। और इसलिए हमने पटना के अधिवेशन में संकल्प लिया है कि हम विधायक संस्थाओं को और चर्चा संवाद का केंद्र बनाएंगे। और हमारे माननीय जनप्रतिनिधि इन विधाई संस्थाओं के अंदर उच्च कोटि की चर्चा हो, अच्छी परंपराओं को पालन करते हुए इन विधाई संस्थाओं को जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाने का प्रयास करें।
उसी के साथ हमने प्रस्ताव लिया है कि हमारे विधाई संस्थाओं के कार्यक्रम में और कुशलता लाने का नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करना, जनता की भागीदारी बनाना, और विधाई संस्थाओं की उत्पादकता को बढ़ाना इस संकल्प के साथ हम यहां से जाएंगे।
निश्चित रूप से सदनों में वैचारिक सहमति
-असहमति होती है, लेकिन मैंने पहले भी कहा था और हमारे सभी विधाई निकाय अधिकारी प्रयास करते हैं, कि सभी राजनीतिक दल अपने चुने जनप्रतिनिधियों के आचरण व्यवहार में, गरिमा सदनों की प्रतिष्ठा बनाने में सहयोग करें। और यह सब थब संभव हो पाएगा जब राजनीतिक दल के लोग अपने चुने प्रतिनिधियों की कुछ आचार संहिता बनाए, सदन के नियम प्रक्रियाओं की पालना करके, प्रतिबद्धता का प्रयास करें, ताकि हम बेहतर संवाद चर्चा के माध्यम से और कुशलता-कौशल इन सदनों में ला सकें।
साथियों बदलती टेक्नोलॉजी के अंदर हमें, खुशी है कि भारत की संसद दुनिया की ऐसी संसद है, जिसने नई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया है। और भारत विविधता वाला देश है, विविध भाषा, विविध भौगोलिक स्थिति, विधाई विविध राजनीति व्यवस्थाएं, और इसीलिए संसद की 22 ऑफिशियल भाषाओं को हमने एआई से उन भाषाओं का भाषांतर करने का काम शुरू कर दिया है। और आने वाले समय में दुनिया के अंदर, भारत की संसद होगी, जो हमारी 22 भाषाओं में जानकारियां उपलब्ध कराएगी।
इतना ही नहीं, हम आने वाले समय के अंदर हम सभी 22 भाषा जो हमारे देश के अंदर संसद में मान्यता प्राप्त है, उनके अंदर पार्लियामेंट के पेपर्स, रूल्स उसके साथ जितने भी कारवाई सदन की है, उन सदन को हम उन भाषा में उपलब्ध कराने के लिए गति से आगे बढ़ रहे हैं।
इसी के साथ हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए 1947 से लेकर अभी तक संसद की सारी डिबेट का संकलन हिंदी इंग्लिश और आने वाले समय में 22 भाषाओं के अंदर हम इसका अनुवाद करेंगे, ताकि देश की अलग-अलग भाषाओं के लोग उस संवाद चर्चा को सुन भी सकें, और पढ़ भी सकें।
और यही प्रयास हमारी राज्य की विधानसभा भी कर रही है, और इसीलिए क्योंकि केंद्रीय विधान मंडल होने के कारण लोकसभा की जिम्मेदारी है, कि वे सभी राज्य की विधानसभाओं के अंदर जहां हम एक प्लेटफार्म पर एक देश, एक विधान के लिए हम काम कर रहे हैं।
और उसी के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए उनकी राज्य की विधानसभाओं के अंदर जो भी कारवाई अभी तक हुई है, उस डिबेट को हम हिंदी इंग्लिश में अनुवाद करने के बाद एक प्लेटफार्म पर लाने का संकल्प हमने इस पटना के अधिवेशन में किया है।
2025 में इस संकल्प को हम पूरा करें इसके लिए मैं सभी पीठासीन अधिकारियों से अपेक्षा करूंगा, कि वे अपने अपने यहां जितनी भी डिबेट है, उन डिबेट को डिजिटलाइजेशन करने का काम शुरू करें, संसद उनको तकनीकी सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार है। मैं पुनः आप सब पीठासीन अधिकारियों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने सार्थक चर्चा की अपने नवाचार को साझा किया, और हम सब आज पटना अधिवेशन से इस संकल्प के साथ निकलें, कि देश और राज्य को हम विकसित बनाने में हमारे संकल्प को पूरा करेंगे।
यह विधाई संस्थाएं देश में चर्चा, संवाद, सहमति, असहमति के साथ देश को आगे बढ़ाते हुए 2047 तक हमारा देश विकसित बनें, इस संकल्प के साथ हम जा रहे हैं।
और मुझे आशा है, विकसित भारत का सपना इन्हीं विधाई संस्थाओं से पूरा होगा। आप सब लोगों से अपेक्षा है, कि वह अपनी-अपनी विधाई संस्थाओं के अंदर देश की, प्रदेश की भावी विकास योजनाओं को और 2047 तक विकसित भारत बनाने के संकल्प को, हम चर्चा, डिबेट के माध्यम से आगे बढ़ाएं। और इस सपने को पूरा कर सके। आज पुनः मैं महामहिम राज्यपाल महोदय को पुनः धन्यवाद देता हूं, कि वे आज यहां पधारे और उनके ज्ञान वर्धक, और उनकी विद्वता का लाभ अभी हमें मिलेगा।
आप सबको पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद और मैं विशेष रूप से बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव जी को, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण जी को और इस राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को धन्यवाद दूंगा। जिन्होंने इस पटना अधिवेशन को आयोजित करने के लिए अपनी सहमति दी और एक श्रेष्ठ आयोजन किया और एक श्रेष्ठ चर्चा का वातावरण दिया आप सबको पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद।