:- अंकित त्रिपाठी की रिपोर्ट
इस वक्त की एक खबर सामने आ रही है, जहां बीती रात्रि को फतुहा के एक निजी नर्सिंग होम में स्टाफ व डाक्टरों की लापरवाही से माँ-बच्चे दोनों की मौत हो गई। नर्सिंग होम का नाम माँ नर्सिंग एंड मेटरनिटी होम है। वही नर्सिंग होम के बोर्ड पर डाॅ0 सुकेश कुमार और डाॅ0 अलका मौर्य लिखा हुआ हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार दोपहर में निशु कुमारी को लेबर पेन शुरू हुआ, जिसके बाद परिजनों ने उसकी भर्ती नर्सिंग होम में भर्ती कराई लेकिन स्टाफ ने डाॅक्टर की गैरमौजूदगी में मरीज की डिलीवरी किया, लेकिन डिलीवरी के दौरान बच्चे की मौत हो चुकी थी। इधर निशु के परिजनों द्वारा हालत पुछने पर ठीक-ठीक बतलाया और परिजनों को मरीज के पास देखने के लिए जाने नहीं दिया जा रहा था। जब परिजनों को स्टाॅफ के व्यवहार पर शक हुआ तो उन्होंने निशु को देखने के लिए जिद की लेकिन वहां पहुंचने पर निशु कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी। परिजनों ने उसका पल्स और धड़कन जांचा तो कुछ प्रतिक्रिया नहीं था, जिसके बाद परिजनों ने स्टाॅफ को खोजना शुरू किया। इधर नर्सिंग होम का स्टाफ छोड़कर भाग चुका था। परिजनों ने आनन-फानन में 112 की टीम को संपर्क किया तो पुलिस मौके पर पहुंची और माँ-बच्चे को फतुहा पीएचसी ले गई, जहां डाॅक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। परिजन दोनों के शव को थाना लाएं और कागजी कार्रवाई के बाद दोनों के शव के पोस्टमार्टम के लिए पटना एनएमसीएच भेज दिया।
बताते चलें कि निशु की शादी को लगभग 3 साल ही हुए हैं और यह उसकी पहली डिलीवरी थी। परिवार में निशु के माँ बनने की खबर को लेकर खुशियों का माहौल था जो अब मातम में बदल चुका है। हालांकि दोनों जिंदा होते लेकिन स्टाॅफ की लापरवाही ने दोनों की जान ले ली। देखा भी जाता है कि फतुहा में अवैध रूप से की नर्सिंग होम और जाँच घर चल रहे हैं, जिनपर आजतक प्रशासन की ओर से रोक नहीं लगाया गया है। झोलाछाप डाॅक्टरों और उसमें कार्यरत अगूंठाछाप कर्मियों की वजह से न जाने कितने लोगों को जान से हाथ गंवानी पड़ती है। हालांकि ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों की मौत डिलीवरी के दौरान ही हो गई।
बाइट: निरंजन कुमार (मृतक का भाई)