आरा/आशुतोष पाण्डेय
आरा/ खेल मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से नेहरू युवा केंद्र द्वारा “कैच द रैन” वर्षा संचय कर जल बचाने की पहल नुक्कड़ नाटक ‘अभियो से चेत’ की प्रस्तुति भोजपुर जिला के जगदीशपुर प्रखंड,शाहपुर प्रखंड, बड़हरा प्रखंड,कोइलवर प्रखंड,आरा सदर प्रखंड में स्थानीय कलाकार अनिल सिंह, अंबुज कुमार,राजू सिन्हा,शेफाली श्रीवास्तव,रिया श्रीवास्तव,श्रेयश भारद्वाज द्वारा किया गया,इस अवसर पर वहाँ उपस्थित सुश्री निकिता सिंह ने कहा कि संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को जल संरक्षण कहा जाता है, विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है, इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है, इसके लिये अधिशेष मानसून अपवाह जो बहकर सागर में मिल जाता है, उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है, ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये, अकेले भारत में ही व्यवहार्य भूजल भण्डारण का आकलन 214 बिलियन घन मी. (बीसीएम) के रूप में किया गया है ,जिसमें से 130 बीसीएम की पुन: प्राप्ति हो सकती है, इस समस्या का एक समाधान जल संचयन है,
पशुओं के पीने के पानी की उपलब्धता
फसलों की सिंचाई के विकल्प के रूप में जल संचयन प्रणाली को विश्वव्यापी तौर पर अपनाया जा रहा है, जल संचयन प्रणाली उन स्थानों के लिए उचित है, जहां प्रतिवर्ष न्यूनतम २०० मिमी वर्षा होती हो, इस प्रणाली का खर्च 400 वर्ग इकाई में नया घर बनाते समय लगभग बारह से पंद्रह सौ रुपए मात्र तक आता है,
इस नाटक में पानी की बर्बादी की जा रही थी जिसे बचाना बहुत जरूरी है,इसी बात को समझाया गया,
वर्षा संचय बहुत जरूरी है,तालाब,पोखरा, कुंआ, शोक्ता इत्यादि बनाकर जल संचित कर जल समस्या में सुधार किया जा सकता है….




