मी लॉर्ड! आपकी एनएच 80 पर अब भी अनिश्चित हैं बटोही!

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शंकर दयाल मिश्रा (स्तंभकार)

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
है अनिश्चित किस जगह पर सरित, गिरि, गह्वर मिलेंगे,
है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर मिलेंगे,
किस जगह यात्रा खतम हो जाएगी, यह भी अनिश्चित…
आ पड़े कुछ भी, रुकेगा तू न, ऐसी आन कर ले।

कवि हरिवंश राय बच्चन की ‘पथ की पहचानÓ जीवन पथ के संदर्भ में है पर कविता ये लाइनें अभी एनएच 80 के भागलपुर-मिर्जाचौंकी पथ वाया कहलगांव-पीरपैंती पर शाब्दिक तौर पर सटीक बैठती है। इस पथ से चलने वालों की यात्रा अनिश्चित है। इस रास्ते में सरित (नदी), गिरि (पर्वत), गह्वर (बड़ी परेशानी) सब का अहसास हो जाता है। इतनी दूरी में एनएच अपनी पहचान ही खो चुका है। वैसे, इस बाट (पथ) की पहचान हाईकोर्ट ने भी कर रखा है और अपनी निगरानी में रखे है। इसके बावजूद अनिश्चितता से भरा बटोही (राहगीर) अच्छे-बुरे की शंका किए बिना चलते रहने को अभिशप्त हैं।

भागलपुर जीरोमाइल से कहलगांव की ओर बढ़ते के साथ मार्ग की दुर्दशा नजर आने लगती है। दैत्याकार ट्रकों की कतार और उड़ती धूल के बीच इंजीनियरिंग कॉलेज से आगे बढ़ते ही इसके उड़े चीथड़े दिखने लगते हैं। वाहनों की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है। गाड़ी चलाने वाले को पैर एक्सलेटर से अधिक कलच और ब्रेक पर रखना होता हैं। सबौर से आगे सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे उग आए हैं। मसाढू-लैलख तक सड़क पर कालीकरण लगभग खत्म हो गया है। यहां धूल से सनी पथरीली सड़क पर बाइक के फिसलन का खतरा हर पग पर है। घोघा के आगे पक्कीसराय में यह सड़क जानलेवा हद तक खराब हो चुकी है। ट्रकों की लंबी कतार से जाम की स्थिति है। इस कतार में 14 चक्का और इससे अधिक की कई ट्रक दिखे। इनमें से कुछ में छर्री है और कुछ में एनटीपीसी का राख। डाले से ऊपर तक भरा हुआ। ओवरलोड। यहां से आगे के मार्ग की भी स्थिति पूर्ववत खराब ही है।

चंदे की राशि पर भरा गया गड्ढा!

पक्कीसराय पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास सड़क पर कमर भर गड्ढा हो चुका है। स्थानीय राजेश साह कहते हैं कि बारिश हो जाने पर तो छोटी गाडिय़ों का निकलना भी दुश्कर है। बाइक सवार गिरकर चोटिल होते रहते हैं। हाल में सड़क की मरम्मत की गई थी, लेकिन यह महीने भर भी टिकी नहीं। हालत अब आपके सामने है। स्थानीय लोगों की पहल पर ट्रक वालों ने चंदा दिया तो इसमें ईंट डाला गया है। ट्रक वालों का भी अपना स्वार्थ है। लोडेड ट्रकों से ही दबकर ईंट बैठ रही है और रास्ता किसी प्रकार से मोटरेबुल हो रहा है। इसी कारण यहां हमेशा जाम लगा रहता है।

जितने दिन में बनी सड़क उतने दिन भी नहीं चली

नीतीश काल में सूबे में सड़कों पर बेहतर काम हुआ है, लेकिन एनएच 80 के भागलपुर-मिजाचौकी मार्ग का दुर्योग रहा कि यह कभी एकरूप चलने लायन नहीं बन पाया। हालांकि इसे कभी मोटरेबुल करने और कभी मरम्मत करने के नाम पर अरबों रुपये लगा दिए गए। 2017-18 में जीरोमाइल से कहलगांव रमजानीपुर तक 48 करोड़ में बनाने का टेंडर पास हुआ था। काम दोनों ओर से शुरू किया गया। इधर सड़क बनती तो उधर टूट जाती और उधर बनती तो इधर टूटती। पूरी सड़क कभी बन ही नहीं पाई। पिछले वर्ष काम पूरा हुआ बता दिया गया। अब यह सड़क उसी टेंडर के मेंटेनेंस पीरियड में है, लेकिन कभी इसका मेंटेनेंस होते किसी ने देखा नहीं। नतीजा सड़क बिलकुल चलने लायक नहीं रही। मेंटेनेंस पीरियड में रहने के बाद भी अभी दो माह पहले इस सड़क की मरम्मत के लिए अतिरिक्त राशि आवंटित किया गया। एनएच प्रशासन ने इसके लिए बीते 19 मार्च से दस दिनों दिनों तक भारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगाई थी। प्रबुद्ध संजीव सिंह बताते हैं कि जितना दिन इस सड़क पर परिचालन रोककर इसे बनाया यह उतना दिन भी नहीं चला। पक्कीसराय के पास सड़क की सर्वाधिक खराब स्थिति पर वे कहते हैं कि पक्कीसराय सांसद अजय मंडल का गृह पंचायत है।

हाईकोर्ट कर रहा मॉनिटिरिंग

नजर बिजनौरी की पंक्तियां हैं- हर कोई रौंंदता हुआ उसको गुजर गया, छाती के घाव सबको दिखाती रही सड़क। लेकिन एनएच 80 के छाती पर हुए घाव को देखा पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने। बीते 13 मार्च को कहलगांव में कोर्ट भवन उद्घाटन करने वे अन्य न्यायिक पदाधिकारियों के साथ आए थे। वे सड़क मार्ग से भागलपुर से कहलगांव गए थे। मुख्य न्यायाधीश ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में इस सड़क की दुर्दशा बयां की। वे कहलगांव से सड़क मार्ग से भागलपुर लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और रेल मार्ग से लौटे। लौटने के बाद उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट इस मार्ग की मॉनिटरिंग करेगा।

कोरोनाकाल में राह चुनने का दूसरा आप्शन बंद
कवि हरिवंश राय बच्चन अपनी कविता में लोगों को जीवन पथ पर आगे बढऩे से पहले सावधान करते हैं कि यात्रा निर्धारण से पहले अपने लक्ष्य और मार्ग का निर्धारण कर लेना चाहिए। इस मार्ग के राहगीरों का गंतव्य तो तय होता है लेकिन उनके पास मार्ग चुनने का दूसरा आप्शन कोरोना के कारण बंद है। कहलगांव जाने वाले यात्री सुगम यात्रा के लिए सन्हौला-हनवारा-अमडंडा-एकचारी का करीब दोगुना लंबा मार्ग विकल्प के रूप में है। इस मार्ग में हनवारा के पास का करीब एक किलोमीटर मार्ग झारखंड के गोड्डा जिले में आता है। कोरोना के कारण झारखंड का बैरियर यहां लगा होने से बिना पास वाले नहीं आ-जा सकते।

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