मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी पर राहुल गांधी को दो साल की सजा, जमानत भी मिली!

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रिपोर्ट अनमोल कुमार

मानहानि मामले में सूरत की अदालत ने दोषी ठहराया
राहुल ने माफी मांगने से किया इंकार, संसद सदस्यता पर खतरा!

-राहुल कोर्ट के साथ लोकतंत्र के कठघरे में भी : अश्विनी चौबेनई दिल्ली : आखिर सभी चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों होते हैं? कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की इस टिप्पणी को लेकर मानहानि मामले में सूरत की अदालत ने आज 23 मार्च को उन्हें दो साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने कोर्ट से कहा कि मेरा इरादा गलत नहीं था। उनके बयान से किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है। इसी के साथ उन्होंने इस मामले में अपने लिए कम सजा दिए जाने की मांग की है। इस फैसले के साथ ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर भी तलवार लटकने लगी है।

हालांकि, इस मामले में राहुल को जमानत भी मिल गई है।
बता दें कि राहुल गांधी के खिलाफ उनकी एक आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए मामला दर्ज किया गया था। सूरत कोर्ट की ओर से सजा का ऐलान होने के बाद राहुल गांधी अब भाजपा के निशाने पर आ गए हैं। बीते दिनों कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अपनी विवादित टिप्पणी पर घिरे कांग्रेस सांसद के लिए ये बड़ा झटका कहा जा सकता है। वहीं, सजा मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अश्विनी चौबे ने कहा कि राहुल गांधी कोर्ट के कठघरे में हैं, वे लोकतंत्र के कठघरे में भी हैं। इस मंदिर में आकर माफी मांगने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि आखिर सभी चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों होते हैं? इस टिप्पणी पर काफी बवाल मचा था। जिसके बाद भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामला दर्ज करवाया था। कहा गया कि राहुल गांधी का बयान पूरे मोदी समाज के लिए अपमानजनक है और इससे पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया गया है।
पूर्णेश मोदी के वकील ने दलील देते हुए कहा कि राहुल गांधी के भाषण की सीडी साबित करते हैं कि उन्होंने रैली में टिप्पणी की थी। जिस पर राहुल गांधी के वकील ने तर्क दिया कि कार्यवाही शुरू से ही त्रुटिपूर्ण थी, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 202 के तहत कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में एक पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के अधिकांश भाषणों में प्रधान मंत्री को लक्षित किया गया था।

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