बांका से कुंदन सिंह, की रिपोर्ट-
जिला पदाधिकारी अंशुल कुमार द्वारा शुक्रवार को यूकोआरसेटी के तत्वावधान में मंडल कारा बांका में आयोजित 10 दिवसीय बकरीपालन प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ किया गया तथा बंदियों को संबोधित किया गया। जिला पदाधिकारी महोदय द्वारा बताया गया कि जेल से लगातार अनुकूल गतिविधियां चलायी जाती है, जो प्रशंसनीय है. वे कई अलग-अलग जिलों के जेलों में जा चुके हैं। जिस उद्देश्य व स्वच्छता के साथ बांका जेल संचालित हो रहा है, वैसा कहीं नहीं पाया गया. यह तभी संभव है, जब अधिकारी की सोच साकारात्मक होता है. बंदी इसका पूरा लाभ लें. यहां बंदियों को शिक्षित होने का पूरा अवसर दिया जाता है. बंदी को जिस भी फिल्ड में अच्छा लगे चाहे संगीत की शिक्षा हो या डिग्री की शिक्षा हो, वे इसमें हिस्सा लें। उन्हें और भी बेहतर संसाधन उपलब्ध कराये जाएंगे। उन्होंने बंदियों के चेतना को जागृत करने के लिए कहा कि वे कल की भूल को आज से सुधार करें। उन्होंने कहा कि बांका जेल का अपना बैंड भी है। उनका प्रयास रहेगा कि कहीं प्रतियोगिता हो तो यहां का बैंड बिहार में नंबर वन हो। साथ ही जेल में एक लाइब्रेरी है। यहां से बंदी किताब जरुर पढ़ें। किताबों से उन्हें बहुत सीख मिलेगी। जल्द यहां टेलरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कराया जायेगा। वहीं इससे पहले जेल में बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत शुभाभंभ जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं जेल अधीक्षक सुजीत कुमार राय, व यूको आरसेटी के निदेशक डीसी नंदी ने संयुक्त रूप से किया। संगीत शिक्षक कृष्णकांत झा के नेतृत्व में स्वागत गान की भी प्रस्तुति की गई। इस मौके पर भवन निर्माण के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार, जिला मुख्य प्रोबेशन पदाधिकारी राजीव कुमार, अभय कुमार, डा. एसके सुमन, सहायक जेल अधीक्षक विकास कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. धर्मेंद्र, डा. रघुवर साहू, यूको आरसेटी के विद्यानंद सिंह, सीएससी के जिला प्रबंधक प्रेम शंकर वत्स, वरीय लिपिक साजिद खां, कर्मी गुड्डू गिरी, सिकेश कुमार, नीरज शर्मा, ज्वाला्र प्रोग्रामर चंदन सहित अन्य प्रमुख रूप से उपस्थित थे। एसपी डा. सत्यप्रकाश ने कहा कि जेल को असल मायने में सुधार संस्थान के रूप में यहां के अधीक्षक ने स्थापित किया है. बंदी पूरा लाभ लें. कल के अपराध का बोध करते हुए बेहतर भविष्य लेकर निकलें. जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन उनका पूरा सहयोग करेगा. उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन चुनौती है. लेकिन, इसी चुनौती को बेहतर रूप में लेना है. कभी भी आवेश में आकर गलत कार्य को अंजाम नहीं देना है. उन्होंने जेल अधीक्षक को फिल्म के माध्यम से भी बंदियों को समाज के मुख्यधारा में लौटाने के लिए कहा. उन्होंने हिन्दी की चर्चित फिल्म दो आंख बारह हाथ दिखाने को कहा. जिसमें बंदी व जेलर के बीच का मार्मिक कहानी दर्शाया गया है. ।जेल अधीक्षक सुजीत कुमार राय ने कहा कि डीएम एवं एसपी के मार्गदर्शन में लगातार जेल में सुधारात्मक कार्यक्रम संचालित हो रहा है. जेल के बंदी को वह अपना पारिवारिक सदस्य के रूप में मानते हैं. यह प्रशिक्षण 10 दिन का है. जिसमें तीन दर्जन से अधिक चिन्हित बंदी प्रशिक्षित होंगे और उन्हें सरकार की ओर से प्रमाण पत्र दिया जायेगा. जब बंदी बाहर जाएंगे तो इस सर्टिफिकेट की उपयोगिता आत्मनिर्भर बनने में सहयोग करेगा. उन्हें ऋण भी उपलब्ध करायेगा जायेगा. कार्यक्रम के दौरान इग्नू से उत्तीर्ण बंदियों के बीच प्रमाण पत्र बांटा गया।