भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल का प्रेस बयान।
कलाकारों और गायकों से भीड़ जुटाकर भय से वोट लेने की नीति राजद की काम न आई!
अब हार का ठीकरा मढ़ कलाकारों का अपमान राजद की नियति रही!
पटना, 24 नवम्बर 2025
राजद की पुरानी आदत रही चुनाव में जनता को प्रभावित करने के लिए कलाकारों और तथाकथित “लोकप्रिय” गायकों की भीड़ खड़ी करके माहौल बनाने का नाटक, और जब जनता ने इस खोखले तामझाम को ठुकरा दिया तो उसी भीड़ का दोष उन्हीं कलाकारों पर मढ़ना शुरू। यह वही मानसिकता है जिसमें काम कम, दिखावा ज़्यादा और नतीजा आते ही जिम्मेदारी से भागने की पुरानी प्रवृत्ति नज़र आती है।
सच्चाई यह है कि गायकों के कार्यक्रमों के सहारे से भय, आतंक और भ्रम का माहौल बनाकर वोट लेने का फार्मूला जिस दिन से बना, उस दिन से ही जनता ने राजद की नीयत पढ़ ली थी। बिहार की जनता इतना समझदार है कि वह जुगाड़ की भीड़ और कृत्रिम लोकप्रियता से प्रभावित नहीं होती। जब नतीजे आए और जनता ने साफ-साफ संदेश दे दिया, तब राजद नेताओं ने मेहनताना तक न देने की हद कर दी—और उल्टा आरोप उन्हीं कलाकारों पर कि “भीड़ ठीक नहीं लीगल और लीगल नोटिस।
यह व्यवहार सिर्फ कलाकारों का अपमान नहीं है, बल्कि बिहार की जनता की समझदारी का भी अपमान है। जिस पार्टी का नेतृत्व हार स्वीकारने की नैतिकता न रखता हो, जो अपने प्रचार के लिए बुलाए गए कलाकारों की गरिमा तक बचा न सके, वह आखिर जनता का क्या भला करेगा?
राजद के लिए यह हार सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि नैतिक पराजय है। जनादेश ने स्पष्ट कर दिया कि भीड़ इकठ्ठा करने से जनसमर्थन नहीं मिलता… और फर्जी उत्साह से भरोसा नहीं बनता। जनता काम देखती है, नेतृत्व की क्षमता देखती है, न कि डर, भ्रम और तमाशे से बनाई गई भीड़।
अब राजद को सोचना चाहिए कि जनता का भरोसा कैसे जीता जाता है—सम्मान, जवाबदेही और विकास की राजनीति से… न कि कलाकारों को ढाल बनाकर और हार का ठीकरा उनके सिर फोड़कर।
_ प्रेम रंजन पटेल
प्रदेश प्रवक्ता भाजपा




